
China-Taiwan Tension: चीन और ताइवान के बीच तनाव एक बार फिर तेजी से बढ़ रहा है। इसी कड़ी में एक नई रिपोर्ट ने ताइवान की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। वाशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) की ताजा रिपोर्ट से पता चलता है कि चीनी समुद्री मिलिशिया ताइवान जलडमरूमध्य में 'ग्रे जोन' रणनीतियों को लागू करने के लिए सैकड़ों नागरिक मछली पकड़ने वाली नौकाओं का सहारा ले रही है।
मछली पकड़ने वाली नौका
इस महीने की शुरुआत में जारी हुई यह रिपोर्ट, जिसे ताइपे टाइम्स ने प्रकाशित किया, बताती है कि बीजिंग का तथाकथित “समुद्री मिलिशिया” यानी बिना किसी आधिकारिक निशान वाले मछली पकड़ने के जहाजों का एक बेड़ा - अब ताइवान के पास के समुद्री क्षेत्रों में निगरानी, डराने-धमकाने और सूचनाएं जुटाने जैसे कामों के लिए लगातार इस्तेमाल किया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की यह रणनीति उसे सीधे सैन्य टकराव से बचते हुए ताइवान और उसके सहयोगियों पर दबाव बनाने का मौका देती है। इस तरह की चाल को आमतौर पर “ग्रे जोन वॉरफेयर” यानी छुपे तरीके से चलाया जाने वाला दबाव युद्ध कहा जाता है।
चीन की 'ग्रे जोन' रणनीति से टेंशन में ताइवान
CSIS की टीम ने चीन के झंडे वाली 315 मछली पकड़ने वाली नौकाओं की निगरानी की और उनके GPS और ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) डेटा को ट्रैक किया। इसका उद्देश्य यह समझना था कि कौन-सी नावें सामान्य मछली पकड़ने के काम में लगी हैं और कौन-सी सैन्य निर्देश पर काम कर रही हैं। रिपोर्ट के नतीजे हैरान करने वाले थे - इनमें से 128 से 209 जहाजों को ‘संदिग्ध’ पाया गया। कई नावों ने अपने 30% से ज़्यादा समय PLA (चीनी सेना) के प्रशिक्षण क्षेत्रों में बिताया, जहां आमतौर पर मछली पकड़ने की कोई गतिविधि नहीं होती। वहीं, कुछ जहाजों ने वास्तविक मछली पकड़ने वाले इलाकों में 10% से भी कम समय बिताया।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 209 जहाजों ने अपने ट्रैकिंग सिस्टम (AIS) में कई गड़बड़ियां कीं। इनमें ट्रैकिंग सिस्टम को बंद करना, पहचान नंबर बदलना या चीनी सैन्य अभ्यास के दौरान अपने रास्ते के डेटा में फेरबदल करना शामिल था। CSIS के मुताबिक, एक जहाज ने तो 11 अलग-अलग समुद्री पहचान नंबरों का इस्तेमाल किया और सिर्फ एक साल में उन्हें 1,300 बार बदला। यह बात सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया विश्लेषकों के लिए चिंता का संकेत है, क्योंकि यह छिपी हुई नौसैनिक गतिविधियों की ओर इशारा करता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ जहाजों ने सिग्नल ब्लैकआउट के दौरान अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड में अपने पंजीकृत नाम बदल लिए। यह दिखाता है कि उनकी असली गतिविधियों को छिपाने की एक संगठित कोशिश की जा रही थी। थिंक टैंक के शोधकर्ताओं का कहना है कि ये जहाज संभवतः चीन की सरकारी एजेंसियों से जुड़ी शेल कंपनियों (यानी नाम मात्र की कंपनियों) के नेटवर्क के जरिए काम कर रहे हैं। उन्होंने पश्चिमी खुफिया एजेंसियों से अपील की है कि वे इन कंपनियों और स्वामित्व नेटवर्क की गहराई से जांच करें, ताकि इन गतिविधियों के पीछे छिपे असली लोगों की पहचान की जा सके।
पानी पर चल रहा है ‘शांत युद्ध’
एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, समुद्री विशेषज्ञ कई सालों से यह चेतावनी दे रहे हैं कि चीन के मछली पकड़ने वाले जहाज सिर्फ मछली पकड़ने तक सीमित नहीं हैं — वे एक अनौपचारिक नौसैनिक बल की तरह काम करते हैं। ये जहाज बिना सीधे युद्ध में शामिल हुए, निगरानी करने, जानकारी जुटाने और सप्लाई देने जैसे काम कर सकते हैं। CSIS की ताजा रिपोर्ट भी इसी बात को दोहराती है — चीन की “ग्रे जोन” रणनीति बंदूक या मिसाइल चलाने की नहीं, बल्कि मानसिक और रणनीतिक खेल खेलने की है। इसका उद्देश्य सीमाओं को परखना और ताइवान की रक्षा क्षमता को धीरे-धीरे कमजोर करना है।
मछुआरों और सैनिकों के बीच की यह धुंधली रेखा अब ताइवान स्ट्रेट को दुनिया के सबसे संवेदनशील और जटिल इलाकों में से एक बना रही है- जहां अगला संघर्ष बंदूकों से नहीं, बल्कि उन नावों से शुरू हो सकता है, जिन्हें वहां होना ही नहीं चाहिए।
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