अमेरिकी राष्ट्रपति को देश की सत्ता संभाले एक साल का समय हो चुका है। इस दौरान उनके लिए फैसलों से अंतरराष्ट्रीय बाजार और राजनीति में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। एच-1बी वीजा पर लिए उनके फैसले अमेरिकी कंपनियां भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। इनके लिए विदेशी वर्कर्स को अपने यहां नौकरी देना काफी महंगा सौदा हो गया है। इसकी वजह से कंपनी वर्कफोर्स पर असर पड़ा है। एच-1बी वीजा के धुर आलोचक रहे ट्रंप को अब इन कारणों की वजह से दो महीने पहले लिए अपने ही फैसले से पलटना पड़ रहा है। उन्होंने खुद स्वीकार किया है कि अमेरिका को विदेशी टैलेंट की जरूरत है। उनके देश को आगे बढ़ाने में एच-1बी वीजा ही मदद कर सकता है।
