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'स्टार्टअप्स के लिए होगी मुश्किलें...', ट्रंप के H-1B वीजा फीस बढ़ाने पर बोले जो बाइडेन के पूर्व सलाहकार अजय भुटोरिया

H-1B Visa Fee Hike: यह नया 100,000 डॉलर का सालाना शुल्क मौजूदा H-1B वीजा लागतों में बड़ी वृद्धि है, जो आमतौर पर कुछ हजार डॉलर होती है। इस बदलाव से इंफोसिस, टीसीएस और विप्रो जैसी भारतीय आईटी सेवा कंपनियों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है, जो ऐतिहासिक रूप से ग्राहक परियोजनाओं और कौशल विकास के लिए जूनियर और मिड-लेवल इंजीनियरों को अमेरिका लाती रही हैं

Curated By: Abhishek Guptaअपडेटेड Sep 20, 2025 पर 9:16 AM
'स्टार्टअप्स के लिए होगी मुश्किलें...', ट्रंप के H-1B वीजा फीस बढ़ाने पर बोले जो बाइडेन के पूर्व सलाहकार अजय भुटोरिया
FIIDS के खंडेराव ने इस फैसले को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताते हुए कहा कि इसका अमेरिकी टेक उद्योग पर 'बहुत नकारात्मक' प्रभाव पड़ सकता है

H-1B Visa Fee: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा पर 100,000 डॉलर का सालाना शुल्क लगाने का एक बड़ा फैसला लिया है, जिसने अमेरिकी टेक उद्योग में हलचल मचा दी है। इस फैसले पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के सलाहकार रहे अजय भूटोरिया और एफआईआईडीएस (FIIDS) जैसे संगठनों ने अलग-अलग राय व्यक्त की है। आइए आपको बताते हैं क्या है इस पर एक्सपर्ट्स की राय और इसका क्या होगा असर।

'साहसिक कदम है पर स्टार्टअप्स के लिए होंगी मुश्किलें

जो बिडेन के पूर्व सलाहकार अजय भूटोरिया ने इस फैसले को अमेरिकी नागरिकों को ऊपर उठाने के लिए एक 'साहसिक कदम' बताया है। भूटोरिया ने कहा, 'यह 100,000 डॉलर का H-1B शुल्क, जो 21 सितंबर 2025 से प्रभावी होगा, एक साहसिक कदम है। यह कम लागत वाले विदेशी श्रम पर निर्भरता कम करके अमेरिकी नागरिक वरिष्ठ आईटी कर्मचारियों और नए कॉलेज स्नातकों को ऊपर उठा सकता है, जिससे अमेरिकी प्रतिभा के लिए उचित वेतन और अवसर सुनिश्चित होंगे।' हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि इस फैसले से स्टार्टअप्स को भर्ती में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और अमेरिका की तकनीकी बढ़त बनाए रखने के लिए 'लक्षित छूट' के साथ एक संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है।

टेक इंडस्ट्री के लिए 'दुर्भाग्यपूर्ण' फैसला

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