उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों में गेहूं की बुवाई पूरी हो चुकी है। हालांकि, कुछ किसान दिसंबर के अंतिम दिनों तक भी फसल बोते हैं। जिन किसानों ने नवंबर के पहले पखवाड़े में बुवाई की थी, उनकी फसल अब पहली सिंचाई की तैयारी में है। पहली सिंचाई समय पर करना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और मिट्टी में नमी बनी रहती है। मजबूत जड़ों से पौधे गहराई तक पोषक तत्व और पानी ले पाते हैं, जिससे उनकी ग्रोथ अच्छी होती है। सही समय पर सिंचाई करने से कल्ले की संख्या बढ़ती है, जिससे उत्पादन में भी वृद्धि होती है।
अगर सिंचाई में गलती हो जाए, जैसे बहुत ज्यादा पानी डाल देना, तो पौधों की ग्रोथ प्रभावित होती है और पत्तियों पर पीलापन दिखाई देने लगता है। इसलिए किसानों को पहली सिंचाई ध्यान से करनी चाहिए।
पहली सिंचाई क्यों है जरूरी?
सिंचाई करने से मिट्टी में नमी बनी रहती है, जिससे पौधों की जड़ें मजबूती से फैलती हैं। मजबूत जड़ों से पौधों को जरूरी पोषक तत्व और पानी लंबे समय तक मिलता है, जिससे फसल की ग्रोथ बेहतर होती है। इसके अलावा, समय पर सिंचाई करने से गेहूं के कल्ले की संख्या बढ़ती है, जिससे उत्पादन में भी इजाफा होता है।
सिंचाई में आम गलती और उसका असर
कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता लोकल 18 से बात करते हुए बताते हैं कि फसल में पहली सिंचाई हल्की करनी चाहिए। ज्यादा पानी देने से पौधों की ग्रोथ प्रभावित हो सकती है। कभी-कभी फसल मर भी जाती है। अधिक पानी देने पर पत्तियों पर पीलापन दिखने लगता है, जिससे पौधे में भोजन निर्माण रुक जाता है और उनका विकास धीमा हो जाता है।
डॉ. गुप्ता के अनुसार, गेहूं की फसल में बुवाई के 21 से 25 दिन के बीच पहली सिंचाई करनी चाहिए। ये समय पौधों के विकास के लिए आदर्श माना जाता है। ध्यान रहे कि दोमट मिट्टी में हल्की सिंचाई ही पर्याप्त होती है।
सिंचाई करते समय ध्यान रखने योग्य बातें