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बिना झंझट, बिना खर्च… ये फसल बना रही है किसानों की जेब भर-भरकर भारी

Water chestnut cultivation: फर्रुखाबाद के कमालगंज क्षेत्र में सिंघाड़े की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है। तालाबों की सफाई और पौध रोपाई में आधुनिक तकनीक अपनाकर किसान उत्पादन बढ़ा रहे हैं। कम लागत में अधिक लाभ देने वाली ये फसल ठंड के मौसम में अच्छी कीमत और स्थायी आय का साधन बन गई है

Edited By: Anchal Jhaअपडेटेड Nov 24, 2025 पर 12:49 PM
बिना झंझट, बिना खर्च… ये फसल बना रही है किसानों की जेब भर-भरकर भारी
Water chestnut cultivation: कमालगंज नवीन मंडी और जिले के थोक बाजार में सिंघाड़ा 20 से 30 रुपए प्रति किलो बिक रहा है।

फर्रुखाबाद के कमालगंज क्षेत्र में सिंघाड़े की खेती इन दिनों तेजी से लोकप्रिय हो रही है। तालाबों की सफाई से लेकर पौध रोपाई तक किसान आधुनिक और असरदार तकनीकें अपनाकर अपनी पैदावार बढ़ा रहे हैं। पहले केवल कुछ ही किसान सिंघाड़े की खेती करते थे, लेकिन अब पूरे क्षेत्र में इसे बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। सिंघाड़ा कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाली फसल है, इसलिए ये किसानों के लिए आय का एक स्थायी स्रोत बन गया है। तालाब की सतह पर जमी काई और कचरे को साफ करने के बाद पौध रोपाई की जाती है, जिससे फसल स्वस्थ रहती है और उत्पादन भी बेहतर होता है।

कमालगंज के किसान अनिल कुमार जैसे अनुभवी किसान पिछले 30 वर्षों से इस फसल की देखभाल कर आर्थिक रूप से मजबूत बने हुए हैं। सिंघाड़ा ठंड की फसल है और ठंड के मौसम में इसकी कीमत अधिक मिलती है, जिससे किसान सीधे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

तालाब की सफाई और रोपाई का तरीका

सिंघाड़े की फसल तैयार करने के लिए सबसे पहले तालाब की पूरी सफाई की जाती है। तालाब की सतह पर जमी काई को नष्ट करने के लिए छिड़काव किया जाता है। इसके बाद पौध डालकर तालाब को साफ रखा जाता है और उत्पादन बढ़ाया जाता है। सही तैयारी से नुकसान की संभावना कम हो जाती है और फसल स्वस्थ रहती है।

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