शाहजहांपुर के किसान फसल बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का लगातार इस्तेमाल कर रहे हैं। शुरुआत में ये फसल की पैदावार बढ़ा देता है। लेकिन लंबे समय में मिट्टी की सेहत पर नकारात्मक असर डालता है। मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरक क्षमता कम हो जाती है, जलधारण क्षमता घट जाती है और लाभदायक सूक्ष्मजीवों की संख्या भी घटती है। कई बार किसान सोचते हैं कि अधिक रासायनिक उर्वरक डालना ही समाधान है, लेकिन ये तरीका मिट्टी और फसल दोनों के लिए हानिकारक साबित होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि रासायनिक उर्वरकों पर पूरी तरह निर्भर न रहते हुए फसल अवशेष को मिट्टी में सड़ाना चाहिए और साथ ही जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। गोबर की सड़ी हुई खाद और वर्मी कंपोस्ट इसके लिए बेहतर विकल्प हैं।
