सबसे बड़े उद्योग चैंबर कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) ने यूनियन बजट 2025 से पहले वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को अहम सलाह दी है। सीआईआई का मानना है कि अगर सरकार उसकी सलाह को मान लेती है तो जीडीपी ग्रोथ काफी बढ़ सकती है। सीआईआई ने फ्यूल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने की सलाह दी है। इससे कंजम्प्शन को बढ़ावा मिलेगा। खासकर कम इनकम वाले लोगों को इससे काफी राहत मिलेगी। फ्यूल (पेट्रोल-डीजल और गैस) की ऊंची कीमतों का सीधा असर इनफ्लेशन पर पड़ता है। आम परिवारों के हर महीने के बजट में फ्यूल खासकर पेट्रोल की बड़ी हिस्सेदारी होती है। एक्साइज ड्यूटी घटने से यह सस्ता हो जाएगा।
20 रुपये तक की इनकम पर घट सकता है टैक्स
CII का यह भी मानना है कि वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman सालाना 20 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स घटा सकती हैं। इसके कई फायदें होंगे। कंजम्प्शन बढ़ेगा। रेवेन्यू में इजाफा होगा, जिसका पॉजिटिव असर जीडीपी ग्रोथ पर पड़ेगा। इकोनॉमिस्ट्स ने भी 24 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ Union Budget 2025 से पहले हुई मीटिंग में पीएम को इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाने की सलाह दी थी। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में बड़ी गिरावट आई है। यह घटकर 5.4 फीसदी पर आ गई है। इससे सरकार चिंतित है। इंडिया के 2047 तक विकसित देश बनने के लिए कम से कम 7-8 फीसदी की GDP ग्रोथ जरूरी है।
अभी कंपनियों पर टैक्स कम और लोगों पर टैक्स ज्यादा
इंडिया के सबसे बड़े उद्योग चैंबर का कहना है कि अभी इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स का सबसे ज्यादा रेट 42.74 फीसदी है। उधर, कंपनियों पर औसत टैक्स 25.17 फीसदी है। इस तरह दोनों के बीच काफी ज्यादा फर्क है। इसलिए आम आदमी को राहत देने के लिए इनकम टैक्स में कमी की जा सकती है। इससे उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। इनफ्लेशन ने मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास की खर्च करने की क्षमता काफी घटा दी है।
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पेट्रोल-डीजल की कीमत एक्साइज टैक्स की वजह से काफी ज्यादा
सीआईआई ने कहा है, "पेट्रोल की खुदरा कीमत में एक्साइज ड्यूटी की हिस्सेदारी करीब 21 फीसदी है, जबकि डीजल के मामले में यह हिस्सेदारी 18 फीसदी है। मई 2022 से दोनों ड्यूटी में क्रूड ऑयल की ग्लोबल कीमतों के हिसाब से कोई बदलाव नहीं किया गया है, जबकि इस बीच क्रूड की कीमतें करीब 40 फीसदी घटी हैं। इसलिए अगर फ्यूल पर एक्साइज ड्यूटी में कमी की जाती है तो इससे इनफ्लेशन में कमी लाने में मदद मिलेगी। साथ ही लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी। "