वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण यूनियन बजट 2025 में बड़े ऐलान करेंगी। इसका पॉजिटिव असर कई सेक्टर के स्टॉक्स पर दिखेगा। बड़े बैंक, पावर, लॉजिस्टिक्स, इंफ्रा कंपनियों के स्टॉक्स को पंख लग जाएंगे। ओमिनीसाइंस कैपिटल के विकास गुप्ता ने यह अनुमान जताया है। गुप्ता को कैपिटल मार्केट्स का कई दशकों का अनुभव है। मनीकंट्रोल ने उनसे यूनियन बजट 2025 और स्टॉक मार्केट्स पर उसके पड़ने वाले असर के बारे में बातचीत की। मनीकंट्रोल ने उनसे यह भी जानने की कोशिश की साल 2025 में निवेश के मौके कहां दिख रहे हैं।
निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को करेंगी बड़े ऐलान
गुप्ता ने कहा कि निवेशकों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि 2024 में लोकसभा चुनावों के बाद यह पहला ऐसा साल है, जिसका फुल बजट (Union Budget) सरकार पेश करने जा रही है। 2024 में दो बजट सरकार ने पेश किए थे। 1 फरवरी, 2024 को पहला बजट पेश किया था, जो अंतरिम बजट था। दूसरा बजट सरकार ने 23 जुलाई, 2024 को पेश किया था, जो पूर्ण बजट था। पूर्ण बजट में ऐसी कई बातें थीं, जो अंतरिम बजट में भी थीं। इस तरह 1 फरवरी, 2025 को पेश होने वाला बजट ऐसा बजट (Union Budget 2025) है, जिसमें सरकार के पास बड़े ऐलान करने का मौका है।
बड़े बैंकिंग स्टॉक्स की वैल्यूएशन अट्रैक्टिव
उन्होंने कहा कि बड़े बैंकों की वैल्यूएशन कम दिख रही है। ये बैंक इंडिया की ग्रोथ के लिए काफी अहम हैं। Nifty 50 में बैंकिंग सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 35 फीसदी है। अगले 3-4 साल में सरकार और कंपनियों के पूंजीगत खर्च बढ़ाने से क्रेडिट ग्रोथ 14-16 फीसदी रह सकती है। यह बैंकिंग स्टॉक्स के लिए पॉजिटिव है। सरकार बैंकों की वैल्यूएशन कम है। प्राइवेट बैंकों की वैल्यूएशन भी अट्रैक्टिव है। हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के स्टॉक्स की कीमतें भी ठीक लग रही हैं। इन स्टॉक्स में इनवेस्टमेंट किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें: Budget 2025: फिस्कल डेफिसिट के आंकड़ों से सरकार खुश, FY26 के लिए 4.5% होगा टारगेट
इन सेक्टर पर होगा सरकार का फोकस
यूनियन बजट 2025 के बारे में उन्होंने कहा कि यह पहला फुल बजट है, जिससे इसमें बड़े ऐलान होने की उम्मीद है। सरकार रेलवे, पावर, सड़क और एयरपोर्ट्स के अलावा डिफेंस के लिए आवंटन बढ़ाएगी। इसके अलावा सरकार घरेलू और विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए बड़े कदम उठाएगी। सरकार कंजम्प्शन बढ़ाने के लिए इनकम टैक्स में कमी कर सकती है। निवेश बढ़ाने के लिए PLI स्कीम का दायरा बढ़ा सकती है। इससे सरकार को इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार बढ़ाने में भी मदद मिलेगी, जिसके इस वित्त वर्ष में घटने के संकेत दिखे हैं।