यूनियन बजट तैयार करने की प्रक्रिया 4-5 महीने पहले शुरू हो जाती है। इसके लिए एक खास टीम बनाई जाती है। इसमें प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और वित्त मंत्रालय के टॉप लेवल के अफसर शामिल होते हैं। वित्त मंत्रालय के अफसर दूसरे सभी मंत्रालयों के नए वित्त वर्ष के प्लान के बारे में जानने की कोशिश करते हैं। इसके लिए वे दूसरे मंत्रालय के सेक्रेटरी लेवल के अधिकारियों से बातचीत करते हैं। इंडस्ट्री का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्थाओं, अलग-अलग सेक्टर्स के एक्सपर्ट्स और इकोनॉमिस्ट्स के साथ भी बजट को लेकर व्यापक चर्चा होती है।
गोपनीयता का खास ध्यान रखा जाता है
बजट (Budget 2025) बनाने के दौरान पूरी गोपनीयता बरती जाती है। बजट डॉक्युमेंट की प्रिटिंग के दौरान अफसरों को अपने परिवार के सदस्यों तक से बातचीत करने की इजाजत नहीं होती है। इस दौरान अफसरों के रहने के लिए नॉर्थ ब्लॉक में खास इंतजाम किया जाता है। वहां किसी के आनेजाने की इजाजत नहीं होती है। इसकी सुरक्षा के खास प्रबंध होते हैं।
बजट तैयार करने वाली खास टीम
बजट बनाने वाली टीम में सबसे ज्यादा अधिकारी फाइनेंस मिनिस्ट्री के होते हैं। इस बार इस टीम में फाइनेंस सेक्रेटरी तुहिन कांत पांडेय, डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के सेक्रेटरी अजय सेठ, डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज के सेक्रेटरी एम नागराजू और चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी अनंत नागेश्वरन शामिल हैं।
सरकार ने 8 जनवरी को तुहिन कांत पांडेय को रेवेन्यू सेक्रेटरी नियुक्त कर दिया। इससे पहले वह DIPAM सेक्रेटरी थे। अब उनकी जगह अरुणीश चावला को DIPAM सेक्रेटरी नियुक्त किया है। पांडेय फाइनेंस सेक्रेटरी बने रहेंगे। गौरतलह है कि रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा को आरबीआई का गवर्नर नियुक्त होने के बाद अजय सेठ के पास रेवेन्यू डिपार्टमेंट का प्रभार था।
पांडेय 1987 बैच के आईएएस अफसर
तुहिन कांत पांडेय को इस साल सितंबर में फाइनेंस सेक्रेटरी नियुक्त किया गया था। वह ओडिशा कैडर के 1987 बैच के आईएएस अफसर हैं। उन्हें फाइनेंस सेक्रेटरी टीवी सोमनाथन की जगह फाइनेंस सेक्रेटरी नियुक्त किया गया। उनके पास पहले DIPAM का प्रभार है। वह सबसे लंबे समय तक DIPAM की जिम्मेदारी संभालने वाले अफसर हैं। पांडेय ने पंजाब यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में एमए किया है। उन्होंने यूनाइटेड किंग्डम से एमबीए भी किया है।
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इस बार की टीम का काम काफी मुश्किल
इस बार की बजट तैयार करने वाली खास टीम का काम काफी चुनौतीपूर्ण है। इस टीम पर इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने वाला बजट तैयार करने की जिम्मेदारी है। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में बड़ी गिरावट आई है। इसकी वजह मई में होने वाले लोकसभा चुनावों को बताया जा रहा है। चुनाव आचार संहिता लागू होने से सरकार के पूंजीगत खर्च करने की रफ्तार सुस्त पड़ गई। इससे आर्थिक गतिविधियों में कमी आई। इसका सीधा असर जीडीपी ग्रोथ पर पड़ा। माना जा रहा है कि यूनियन बजट 2025 में आर्थिक वृद्धि दर तेज करने के उपाय शामिल होंगे।