पिछले तीन दशकों में इंडियन इकोनॉमी तेजी से बढ़ी है। लेकिन, इस बीच देश में आर्थिक असमानता भी बढ़ी है। इकोनॉमी में रिफॉर्म्स का फायदा उन लोगों को ज्यादा मिला है, जिनके पास पहले से पैसे थे। उन्होंने अपने पैसे को निवेश कर ज्यादा पैसे बनाए हैं। हर साल इंडिया में बिलिनेयर्स की बढ़ती लिस्ट से इसकी पुष्टि होती है। फ्रांस के इकोनॉमिस्ट थॉमस पिकेटी ने हाल में इंडिया में अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई को पाटने पर अपनी राय पेश की थी। इसके बाद यह मसला फिर से सुर्खियों में आ गया है। सवाल है कि क्या सरकार यूनियन बजट 2025 में इस दिशा में कुछ बड़े कदम उठा सकती है?