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India Manufacturing Activity: सुस्त पड़ा कारखानों में काम, नवंबर में आया नौ महीने के निचले स्तर पर

India Manufacturing Activity: भारत में मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी पिछले महीने सुस्त पड़ी। नवंबर महीने में यह गिरकर नौ महीने के निचले स्तर पर आ गई। नवंबर महीने में यह 56.6 थी जोकि अक्टूबर महीने में 59.2 पर थी। मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी नवंबर में सुस्त तो हुई है लेकिन अभी भी इसमें विस्तार हो रहा है

Edited By: Moneycontrol Hindi Newsअपडेटेड Dec 01, 2025 पर 12:37 PM
India Manufacturing Activity: सुस्त पड़ा कारखानों में काम, नवंबर में आया नौ महीने के निचले स्तर पर
मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी के 50 के ऊपर होने का मतलब है कि एक्टिविटीज में विस्तार हो रहा है जबकि इस लेवल के नीचे गिरने का मतलब है कि एक्टिविटीज सिकुड़ रही है।

India Manufacturing Activity: भारत में मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी पिछले महीने सुस्त पड़ी। नवंबर महीने में यह गिरकर नौ महीने के निचले स्तर पर आ गई। एचएसीबीसी मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) के मुताबिक नवंबर महीने में यह 56.6 थी जोकि अक्टूबर महीने में 59.2 पर थी। इसे अमेरिकी टैरिफ से झटका लगा है जिसने एक्सपोर्ट ऑर्डर्स को झटका दिया है। इसके अलावा फेस्टिव सीजन के बाद मांग सुस्त हुई तो इससे भी मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी प्रभावित हुई। मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी नवंबर में सुस्त तो हुई है लेकिन अभी भी इसमें विस्तार हो रहा है। इसके 50 के ऊपर होने का मतलब है कि एक्टिविटीज में विस्तार हो रहा है जबकि इस लेवल के नीचे गिरने का मतलब है कि एक्टिविटीज सिकुड़ रही है।

नए निर्यात ऑर्डर्स की पीएमआई 13 महीने के निचले स्तर पर

एचएसबीसी के चीफ इंडिया इकनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी का कहना है कि नवंबर के फाइनल पीएमआई से यह तय हो गया कि अमेरिकी टैरिफ के चलते मैन्युफैक्चरिंग की विस्तार सुस्त पड़ी है। नए निर्यात ऑर्डर्स की पीएमआई 13 महीने के निचले स्तर पर आ गई है। मार्च के बाद नवंबर में यह पहली बार रहा, जब पीएमआई 57 से नीचे आ गया लेकिन पीएमआई अभी भी विस्तार जोन में और लॉन्ग-टर्म औसत से ऊपर बना हुआ है। प्रांजुल का कहना है कि जीएसटी में कटौती से मिली बढ़त फीकी होने के आसार दिख रहे हैं और यह मांग पर टैरिफ के निगेटिव इफेक्ट को कम करने के लिए अपर्याप्त हो सकती है। टैरिफ से जुड़ी चिंताओं के बीच कारोबारी भरोसे में काफी गिरावट आई और यह लगभग साढ़े तीन साल के निचले स्तर पर आ गया।

हायरिंग को लेकर भी सतर्क रुझान दिख रहा है और एंप्लॉयमेंट की रफ्तार 21 महीनों में सबसे सुस्त रही। हालांकि कीमतों के मोर्चे पर कुछ राहत मिली और इनपुट-कॉस्ट इनफ्लेशन नौ महीने के निचले स्तर पर तो सेलिंग-प्राइस इनफ्लेशन भी आठ महीने के निचले स्तर पर आ गया।

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