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बिहार में 'जय सांगा' नारे और 'सांगा यात्रा' के सहारे राजपूतों को साधने चली बीजेपी

2005 में ये तिलिस्म टूटा और ऐसा टूटा कि 20 सालों से सत्ता में आने के लिए उन्हें नीतीश कुमार का सहारा लेना पड़ा। एक बार फिर अगड़ी जातियों के रहनुमा बनने की कोशिश में लगी हैं बिहार में दो दो हाथ कर रही तमाम पार्टियों। सभी गठबंधनों को पता है कि कोई भी एक अगड़ी जाति टूटी तो मुश्किले बढ सकती हैं

Amitabh Sinhaअपडेटेड Jul 14, 2025 पर 8:02 PM
बिहार में 'जय सांगा' नारे और 'सांगा यात्रा' के सहारे राजपूतों को साधने चली बीजेपी
बिहार में 'जय सांगा' नारे और 'सांगा यात्रा' के सहारे राजपूतों को साधन चली बीजेपी

बिहार विधानसभा चुनावों के लिए उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। बीजेपी-जेडीयू अपने गैर यादव, गैर मुसलमान समेत अगड़ी जातियों के वोटों को लेकर आश्वस्त है तो RJD और कांग्रेस यादव, अल्पसंख्यक वोटों के सहारे थोड़े अगड़े वोट बैंक को मिलाने की जुगत मे लग गए हैं। RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने यादव, अल्पसंख्यक, अति पिछड़ा और थोड़े राजपूत वोटों के सहारे लगभग बीस सालों तक बिहार पर राज किया।

2005 में ये तिलिस्म टूटा और ऐसा टूटा कि 20 सालों से सत्ता में आने के लिए उन्हें नीतीश कुमार का सहारा लेना पड़ा। एक बार फिर अगड़ी जातियों के रहनुमा बनने की कोशिश में लगी हैं बिहार में दो दो हाथ कर रही तमाम पार्टियों। सभी गठबंधनों को पता है कि कोई भी एक अगड़ी जाति टूटी तो मुश्किले बढ सकती हैं।

इसी कड़ी में राजपूत समाज को जोड़ेने की शुरुआत की है सारण से बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने। जय सांगा की शुरुआत हुई है 3 अप्रैल को पटना में आयोजित बाबू वीर कुंवर सिंह शौर्य दिवस के दिन से। ये दिन बिहार के लिए ऐतिहासिक बन गया क्योंकि पहली बार भारतीय वायुसेना का एयर शो इसी दिन यानि वीर कुंवर सिंह क जन्म दिवस पर आयोजित किया गया था। नीले आकाश से कुंवर सिंह के शौर्य को सलामी दी। वायु सेना के युद्धक विमानों के करतब और जांबाजी देखना भी बिहार और पटना के निवासियों के लिए अभूतपूर्व था।

इस कार्यक्रम को पटना में आयोजित करने के पीछे सारण से बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी थे। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता भी रुडी ही थे। उन्होंने वीर कुंवर सिंह की वीरता, संघर्ष और स्वाभिमान का स्मरण कराते हुए समाज को संगठित रहने का संदेश दिया। राजीव प्रताप रूडी ने इस आयोजन के बाद संदेश दिया कि अब राजपूत समाज के एकजुट होने का समय आ गया है। इसलिए 23 अप्रैल को पटना के उसी मंच से ही पहली बार “जय सांगा” का नारा गूंजा।

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