Bihar Assembly Elections 2025 : बिहार की राजनीति में एक बार फिर गर्माहट बढ़ गई है। विधानसभा चुनाव 2025 से पहले जन सुराज पार्टी ने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर बड़ा हमला बोला है। पार्टी का प्रतिनिधिमंडल डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के उम्र छिपाने, जालसाजी और हत्या में शामिल होने के आरोपों को लेकर मंगलवार (30 सितंबर) को पटना स्थित राजभवन पहुंचा और ज्ञापन सौंपा। हालांकि प्रतिनिधिमंडल की सीधे राज्यपाल से मुलाकात नहीं हो सकी और ज्ञापन उनके प्रधान सचिव को सौंपा गया।
जन सुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह, प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती, वरिष्ठ नेता रामबली चंद्रवंशी और प्रदेश महासचिव किशोर कुमार इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहे। उन्होंने राज्यपाल से मांग की है कि सम्राट चौधरी को तुरंत उपमुख्यमंत्री पद से हटाया जाए और उन पर हत्या और जालसाजी के आरोपों की उच्च न्यायालय की निगरानी में निष्पक्ष जांच कराई जाए।
ज्ञापन में क्या है?
जन सुराज पार्टी ने आरोप लगाया है कि सम्राट चौधरी ने 1995 के तारापुर कांड संख्या 44/1995 में छह लोगों की हत्या के मामले में जमानत पाने के लिए अदालत में फर्जी दस्तावेज़ जमा किए थे। आरोप है कि उन्होंने बिहार बोर्ड का एक एडमिट कार्ड पेश किया था जिसमें अपनी उम्र 16 साल से कम दिखाई थी, जबकि उस वक्त उनकी वास्तविक उम्र 26 साल थी। इस आधार पर उन्हें नाबालिग मानकर राहत दी गई।
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि 1999 में जब सम्राट चौधरी को कृषि मंत्री बनाया गया था, तब वे न तो विधानसभा के सदस्य थे और न ही विधान परिषद के। उस समय पी.के. सिन्हा की याचिका पर राज्यपाल ने उन्हें मंत्री पद से हटा दिया, क्योंकि उनकी उम्र 25 साल से कम पाई गई थी। इसके बाद 2000 में सम्राट चौधरी परबत्ता सीट से विधानसभा चुनाव जीते और विधायक बने। लेकिन उनकी सदस्यता को अदालत में चुनौती दी गई और 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुनाया।
अदालत के आदेश में यह साफ कहा गया है कि सम्राट चौधरी ने 1996 में जमानत पाने के लिए अपनी उम्र 16 साल से कम बताई थी। उस समय उन्होंने जो स्कूल का सर्टिफिकेट पेश किया था, उसे अदालत ने फर्जी मानकर खारिज कर दिया। इसी आधार पर वर्ष 2000 का उनका विधानसभा चुनाव निरस्त कर दिया गया। बाद में 2005 के नवंबर चुनाव में भी हाईकोर्ट ने उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी। लेकिन हैरानी की बात यह है कि 2010 के चुनाव में सम्राट चौधरी ने अपने नामांकन पत्र में उम्र 28 साल लिखी, जबकि 2020 के विधान परिषद चुनाव के हलफनामे में अपनी उम्र 51 साल बताई। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, अगर 1996 में उनकी उम्र 16 साल से कम थी, तो 2020 में उनकी उम्र 40 साल से भी कम होनी चाहिए थी।
जन सुराज की मांग
जन सुराज पार्टी ने राज्यपाल से मांग की है कि सम्राट चौधरी को न केवल पद से हटाया जाए, बल्कि तत्काल गिरफ्तार भी किया जाए। पार्टी का कहना है कि अगर ऐसे नेताओं पर कार्रवाई नहीं हुई तो लोकतांत्रिक और न्यायिक व्यवस्था पर जनता का विश्वास कमजोर होगा।
जन सुराज ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर इस मामले में कार्रवाई नहीं होती है तो वह अदालत का दरवाज़ा खटखटाएगी। पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार से भी इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है।
भाजपा का पलटवार
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी दानिश इकबाल ने जन सुराज पार्टी और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह पर भी बड़ा आरोप लगाया है। दानिश ने दावा किया कि उदय सिंह उर्फ़ पप्पू ने चुनाव आयोग को अपनी गलत उम्र बताई थी। उन्होंने कहा कि 2004 के लोकसभा चुनाव में आयोग को दिए गए एफिडेविट में उदय सिंह ने अपनी उम्र 44 साल बताई थी, जबकि पांच साल बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी उम्र 57 साल लिखी गई। यानी सिर्फ़ पांच साल में उनकी उम्र 13 साल बढ़ गई।
दानिश इकबाल ने इसके सबूत के तौर पर संबंधित दस्तावेज़ सोशल मीडिया पर साझा किए और तंज कसते हुए कहा कि प्रशांत किशोर भाजपा नेताओं पर तो आरोप लगाते हैं, लेकिन अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की इस गड़बड़ी पर चुप्पी साधे रहते हैं।
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