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प्रशांत किशोर: दूसरों की जीत की स्क्रिप्ट लिखने वाला, खुद लिख पाएगा अपनी विजय गाथा? रणनीतिकार और राजनेता बनने में है काफी अंतर!

Bihar Election 2025: पिछले 11 सालों में प्रशांत किशोर ने डेटा, सोशल मीडिया और नई-नई तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, एम के स्टालिन, अमरिंदर सिंह, जगन मोहन रेड्डी और अरविंद केजरीवाल की मदद की है। कुछ हद तक यह काम इसलिए भी सफल हुआ, क्योंकि उनके पास मौजूदा संगठनात्मक ढांचा था

Shubham Sharmaअपडेटेड Nov 14, 2025 पर 6:29 AM
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प्रशांत किशोर यानी PK, वो नाम जिसने 2014 में नरेंद्र मोदी के ऐतिहासिक चुनाव अभियान को नए सांचे में ढाला था। मोदी की जीत के पीछे उनकी रणनीति को “गेम चेंजर” माना गया। इसके बाद PK ने नीतीश कुमार से लेकर अरविंद केजरीवाल तक कई नेताओं को सत्ता की सीढ़ी चढ़ाई। लेकिन अब रणनीतिकार से नेता बने PK खुद बिहार के सियासी मैदान में हैं और इस बार “कैंपेन” नहीं कन्फ्रंटेशन उनका असली टेस्ट है। सवाल ये है कि जिसने दूसरों की जीत की स्क्रिप्ट लिखी, क्या वो अपनी विजय गाथा खुद लिख पाएगा? क्योंकि एग्जिट पोल का अनुमान साफ है कि बिहार चुनाव में जन सुराज पार्टी का “खाता भी नहीं खुलेगा”। ऐसे में लगता है, दूसरों के लिए राजनीतिक रणनीति बनाने और खुद राजनीति करने में काफी अंतर है।

PK का शुरुआती जीवन

किशोर का जन्म बिहार के सासाराम में रोहतास जिले के कोनार गांव में हुआ। बाद में वे बक्सर चले गए, जहां उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी की। उनके पिता डॉक्टर श्रीकांत पांडे और माता सुशीला पांडे हैं। उनकी पढ़ाई लिखाई और पब्लिक हेल्थ के प्रति उनका जागरुकता ने उनके करियर की शुरुआत का रास्ता खोला।

किशोर ने संयुक्त राष्ट्र के पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम में काम करते हुए अपने करियर की शुरुआत की। 2011 तक वे इसी में रहे और उन्होंने योजना बनाना, प्रोग्राम का कॉर्डिनेशन करना और समुदाय की भागीदारी जैसे काम किए। इसके बाद उन्होंने राजनीतिक रणनीति बनाने का काम शुरू किया, तब तक वे किसी भी राजनीतिक दल से औपचारिक रूप से नहीं जुड़े थे। शुरू में वे 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में BJP के अभियान का समर्थन करते रहे।

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