प्रशांत किशोर यानी PK, वो नाम जिसने 2014 में नरेंद्र मोदी के ऐतिहासिक चुनाव अभियान को नए सांचे में ढाला था। मोदी की जीत के पीछे उनकी रणनीति को “गेम चेंजर” माना गया। इसके बाद PK ने नीतीश कुमार से लेकर अरविंद केजरीवाल तक कई नेताओं को सत्ता की सीढ़ी चढ़ाई। लेकिन अब रणनीतिकार से नेता बने PK खुद बिहार के सियासी मैदान में हैं और इस बार “कैंपेन” नहीं कन्फ्रंटेशन उनका असली टेस्ट है। सवाल ये है कि जिसने दूसरों की जीत की स्क्रिप्ट लिखी, क्या वो अपनी विजय गाथा खुद लिख पाएगा? क्योंकि एग्जिट पोल का अनुमान साफ है कि बिहार चुनाव में जन सुराज पार्टी का “खाता भी नहीं खुलेगा”। ऐसे में लगता है, दूसरों के लिए राजनीतिक रणनीति बनाने और खुद राजनीति करने में काफी अंतर है।
