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Bihar Polls: 10 साल में 6 CM बदलकर बिहार की सत्ता से बाहर हुई थी कांग्रेस, ब्राह्मण थे आखिरी सीएम, अब कर रही OBC पॉलिटिक्स, लेकिन वर्तमान चेहरा भूमिहार

Bihar Election 2025: आज के वक्त में बिहार में कांग्रेस की स्थिति को देखकर किसी भी व्यक्ति को ताज्जुब हो सकता है कि 1985 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अकेले 196 सीटों पर जीत हासिल की थी। तब झारखंड भी बिहार का हिस्सा था। लेकिन आज कांग्रेस की इमेज RJD की 'पिछलग्गू पार्टी' की बनकर रह गई है

Arun Tiwariअपडेटेड Apr 14, 2025 पर 7:15 AM
Bihar Polls: 10 साल में 6 CM बदलकर बिहार की सत्ता से बाहर हुई थी कांग्रेस, ब्राह्मण थे आखिरी सीएम, अब कर रही OBC पॉलिटिक्स, लेकिन वर्तमान चेहरा भूमिहार
Bihar Election 2025: बिहार में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होना है

Bihar Election 2025: जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं। पदयात्रा का नाम रखा गया है 'पलायन रोको-नौकरी दो'। इस यात्रा को कांग्रेस लीडरशिप का पूरा सपोर्ट मिल रहा है। खुद राहुल गांधी इसमें शामिल भी हो चुके हैं। इसे कांग्रेस की तरफ से कन्हैया कुमार को बिहार में 'चेहरा बनाए' जाने के रूप में भी देखा जा रहा है। हालांकि, इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। लेकिन पोस्टर्स में राहुल गांधी के साथ कन्हैया दिख रहे हैं। पोस्टर्स में लिखा है- 'बदलाव का आगाज...'।

इस यात्रा को कांग्रेस की तरफ से खोए हुए जनाधार को पाने की कोशिश माना जा रहा है। लेकिन बेहद कम लोगों को यह मालूम होगा कि बिहार में कांग्रेस ने अपना जनाधार खोया कैसे? ऐसा क्यों हुआ कि 1990 के बाद कांग्रेस कभी अपने दम पर राज्य की सत्ता में नहीं आ सकी? पार्टी की इमेज राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की 'पिछलग्गू पार्टी' की बनकर रह गई।

कभी बिहार में जीती थी 196 सीटें

आज के वक्त में बिहार में कांग्रेस की स्थिति को देखकर किसी भी व्यक्ति को ताज्जुब हो सकता है कि 1985 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अकेले 196 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि तब बिहार और झारखंड एक ही राज्य हुआ करते थे। राज्य में कुल 324 सीटें थीं और बहुमत 163 सीटों पर हासिल होता था। लेकिन यह आखिरी चुनाव जब बिहार में कांग्रेस ने 3 अंकों का आंकड़ा हासिल किया था। इसके बाद कभी कांग्रेस बिहार में पुरानी ताकत नहीं हासिल कर सकी। बिहार में कांग्रेस के इन हालात के लिए लीडरशिप क्राइसिस एक बड़ा मुद्दा था। जिसका खामियाजा पार्टी आज तक भुगत रही है।

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