बिहार के विधानसभा चुनाव के इतिहास में 1967 का साल बेहद अहम रहा। इस चुनाव में पहली बार ऐसा हुआ कि एक निर्दलीय उम्मीदवार ने मौजूदा मुख्यमंत्री को शिकस्त दी और खुद सत्ता संभाली। यही नहीं, इस चुनाव ने राज्य की राजनीति की दिशा ही बदल दी। उस समय कांग्रेस लगातार सत्ता में थी, लेकिन इस बार बहुमत से दूर रह गई। नतीजा यह हुआ कि बिहार को पहली बार एक त्रिशंकु विधानसभा मिली। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी तो बनी, मगर अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी।