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'वोट चोरी' आंदोलन राहुल गांधी के लिए अग्निपरिक्षा! जीत गए बिहार तो बल्ले-बल्ले, अगर हो गई हार तो सब बेकार

राहुल गांधी को यकीन था कि हार कांग्रेस की गलती नहीं थी, बल्कि भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत से हुई थी। और तभी एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप ऑफ लीडर्स एंड एक्सपर्ट्स (EAGLE) का विचार आया, जिसका उद्देश्य चुनाव आयोग और चुनावों के कामकाज पर केंद्रित था।

Translated By: Shubham Sharmaअपडेटेड Aug 10, 2025 पर 9:50 PM
'वोट चोरी' आंदोलन राहुल गांधी के लिए अग्निपरिक्षा! जीत गए बिहार तो बल्ले-बल्ले, अगर हो गई हार तो सब बेकार
'वोट चोरी' आंदोलन राहुल गांधी के लिए अग्निपरिक्षा! जीत गए बिहार, तो बल्ले-बल्ले

राहुल गांधी एक मिशन पर हैं - चुनावी व्यवस्था में लोगों का विश्वास जगाना। लेकिन क्या चुनाव आयोग (EC) के खिलाफ उनका आंदोलन उनके 'चौकीदार चोर है' अभियान की तरह ही खत्म हो जाएगा? कहानी महाराष्ट्र और हरियाणा के नतीजों तक जाती है। जैसे ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत स्पष्ट हुई, कांग्रेस में कई लोग, खासकर राहुल गांधी के करीबी, चौंक गए। उन्हें यकीन हो गया कि कुछ तो गड़बड़ है।

गांधी को यकीन था कि हार कांग्रेस की गलती नहीं थी, बल्कि भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत से हुई थी। और तभी एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप ऑफ लीडर्स एंड एक्सपर्ट्स (EAGLE) का विचार आया, जिसका उद्देश्य चुनाव आयोग और चुनावों के कामकाज पर केंद्रित था।

सूत्रों का कहना है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR), 'वोट चोरी' के खिलाफ पूरे अभियान की निगरानी और माइक्रो मैनेजमेंट राहुल गांधी खुद पर्सनल लेवल पर किया।

उन्होंने अपने पार्टी सहयोगियों से कहा है कि वे इस अभियान को आगे बढ़ाएं, क्योंकि अगर चुनाव में गड़बड़ी हुई तो "चाहे हम कितनी भी मेहनत कर लें, हम कभी नहीं जीत पाएंगे"।

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