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शीश महल विवाद, शराब घोटाला... 5 कारण जो बने AAP की हार की वजह

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी ने बंपर जीत के साथ AAP को सत्ता से बाहर कर दिया है। इसके साथ ही भगवा पार्टी 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी करने जा रही है। अरविंद केजरीवाल ने चुनावी हार के बाद कहा कि AAP एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी। लेकिन सवाल यह है कि आखिर AAP की हार के पीछे क्या कारण रहे? आइए जानते हैं वो 5 मुख्य वजहें,जिनकी वजह से AAP को करारी हार झेलनी पड़ी

Moneycontrol Hindi Newsअपडेटेड Feb 08, 2025 पर 6:11 PM
शीश महल विवाद, शराब घोटाला... 5 कारण जो बने AAP की हार की वजह
Delhi Election Results: चुनाव प्रचार के दौरान BJP ने "शीश महल" विवाद को बड़ा मुद्दा बनाया

2020 के विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली में शानदार जीत दर्ज की थी और 70 में से 62 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) महज 8 सीटों पर सिमट गई थी। लेकिन अब 5 साल बाद स्थिति बदल गई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी ने बंपर जीत के साथ AAP को सत्ता से बाहर कर दिया है। इसके साथ ही भगवा पार्टी 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी करने जा रही है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनावी हार के बाद कहा कि AAP एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी। लेकिन सवाल यह है कि आखिर AAP की हार के पीछे क्या कारण रहे? आइए जानते हैं वो 5 मुख्य वजहें,जिनकी वजह से AAP को करारी हार झेलनी पड़ी।

1. शराब नीति घोटाला: AAP के लिए सबसे बड़ा झटका

AAP को सबसे बड़ा झटका शराब नीति घोटाले से लगा। इस घोटाले की जांच में मनीष सिसोदिया और खुद अरविंद केजरीवाल तक की गिरफ्तारी हुई। विपक्ष ने आरोप लगाया कि दिल्ली को "दारू की राजधानी" बनाया जा रहा है, और 'Buy 1 Get 1 Free' जैसी स्कीम लागू करके शराब बिक्री को बढ़ावा दिया गया। हालांकि, घोटाले के विवाद के चलते यह नीति एक साल के भीतर ही रद्द कर दी गई।

CBI और ED की जांच के बाद, इस मामले में मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया, और फिर अरविंद केजरीवाल को भी पांच महीने तक जेल में रहना पड़ा। सिसोदिया को पद छोड़ना पड़ा और केजरीवाल ने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया। अप्रैल 2024 तक, AAP का पूरा शीर्ष नेतृत्व जेल में था। पार्टी के शीर्ष नेताओं की गैर-मौजूदगी के चलते AAP कोई मजबूत प्रचार अभियान नहीं चला पाई और इसका सीधा फायदा भाजपा को मिला।

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