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Iconic villains: यादगार सिनेमा को चाहिए यादगार खलनायक... धुरंधर का रहमान डकैत इसका नया सबूत

Iconic villains: धुरंधर की सफलता साबित करती है कि यादगार फिल्में यादगार विलेन से बनती हैं। रहमान डकैत की लोकप्रियता गब्बर, मोगैंबो, जोकर और थैनोस की परंपरा का नया सबूत है। जहां खलनायक कहानी की दिशा, वजन और भावनात्मक प्रभाव तय करता है। मिलिए उन खल पात्रों से, जिन्होंने सिनेमा जगत को नई दिशा दी।

Suneel Kumarअपडेटेड Dec 11, 2025 पर 10:36 PM
Iconic villains: यादगार सिनेमा को चाहिए यादगार खलनायक... धुरंधर का रहमान डकैत इसका नया सबूत
कहानी उतनी ही महान होती है, जितना महान उसका विरोध हो।

Iconic villains: सिनेमा को अक्सर हीरो की यात्रा के रूप में देखा जाता है। एक व्यक्ति जो संघर्षों से भरी दुनिया में खड़ा होता है, लड़ता है, टूटता है और अंत में जीतता है। लेकिन 'धुरंधर' की सफलता ने भारतीय सिनेमा को उस गहरे सवाल के सामने फिर से खड़ा कर दिया है, जिसे फिल्म थ्योरी में 'नैरेटिव ऑथरिटी' कहा जाता है: कहानी का असली मालिक कौन होता है? क्या वह जो जीतता है?

या वह जो कहानी को अपनी मौजूदगी, अपने डर, अपनी विचारधारा और अपनी इच्छा शक्ति से ढाल देता है? यानी विलेन! धुरंधर के लिए नायक रनवीर सिंह से ज्यादा तालियां रहमान डकैत का किरदार निभाने वाले अक्षय खन्ना के हिस्से में आ रही हैं। यही अंतर फिल्मों की किस्मत तय करता है।

जब खलनायक के पास तर्क होता है, चाहे वह कितना ही खतरनाक और गलत क्यों न हो,स तब कहानी में नैतिक उलझन पैदा होती है। दर्शक यह समझने लगता है कि यह संघर्ष सिर्फ अच्छा बनाम बुरा नहीं है। यह संघर्ष व्यवस्था बनाम अराजकता, नैतिकता बनाम इच्छा, और मूल्य बनाम अस्तित्व है।

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