Iconic villains: सिनेमा को अक्सर हीरो की यात्रा के रूप में देखा जाता है। एक व्यक्ति जो संघर्षों से भरी दुनिया में खड़ा होता है, लड़ता है, टूटता है और अंत में जीतता है। लेकिन 'धुरंधर' की सफलता ने भारतीय सिनेमा को उस गहरे सवाल के सामने फिर से खड़ा कर दिया है, जिसे फिल्म थ्योरी में 'नैरेटिव ऑथरिटी' कहा जाता है: कहानी का असली मालिक कौन होता है? क्या वह जो जीतता है?