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इस एक बटन से बंद हुआ विमान का इंजन! एयर इंडिया क्रैश की जांच में अब 'फ्यूल कंट्रोल स्विच' पर फोकस, जानें इसके बारे में सबकुछ

Air India Plane Crash: जांच में आशंका जताई गई है कि टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद ही फ्यूल कंट्रोल स्विच के मोड में कोई बदलाव हुआ है। हालांकि, यह अब तक साफ नहीं हो सका है कि यह बदलाव किसी तकनीकी खराबी की वजह से हुआ या इंसानी भूल के कारण। ब्लैक बॉक्स में रिकॉर्ड हुए डाटा का विश्लेषण जारी है, लेकिन इस पूरे प्रोसेस में कई महीने लग सकते हैं

Curated By: Shubham Sharmaअपडेटेड Jul 09, 2025 पर 1:10 PM
इस एक बटन से बंद हुआ विमान का इंजन! एयर इंडिया क्रैश की जांच में अब 'फ्यूल कंट्रोल स्विच' पर फोकस, जानें इसके बारे में सबकुछ
Air India Plane Crash: एयर इंडिया क्रैश की जांच में अब 'फ्यूल कंट्रोल स्विच' पर फोकस, जानें इसके बारे में सबकुछ

एयर इंडिया विमान हादसे की जांच में एक और नया पहलू सामने आया है। जांचकर्ताओं ने विमान के फ्लाइट और वॉयस रिकॉर्डर यानी ब्लैक बॉक्स के डेटा की बारीकी से जांच की है। 12 जून को एयर इंडिया की फ्लाइट 171 ने अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी और कुछ ही सेकंड के भीतर यह हादसे का शिकार हो गई। लंदन के गैटविक एयरपोर्ट जा रही इस उड़ान में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें से 241 की मौत हो गई, जबकि जमीन पर मौजूद 19 अन्य लोग भी इसकी चपेट में आकर जान गंवा बैठे। यह हादसा बेहद दर्दनाक था, और अब इसकी जांच में कुछ अहम बातें सामने आ रही हैं।

एविएशन इंडस्ट्री से जुड़ी वेबसाइट The Current Air की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल जांच में सबसे ज्यादा फोकस इंजन से जुड़े फ्यूल कंट्रोल स्विच पर किया गया है। यह स्विच इंजन में फ्यूल फ्लो को कंट्रोल करता है। आमतौर पर यह सिर्फ उड़ान की शुरुआत या आखिर में ही इस्तेमाल होता है। इस स्विच के दो मोड होते हैं – RUN और CUTOFF। अगर उड़ान के दौरान गलती से यह स्विच "CUTOFF" हो जाए, तो इंजन को मिलने वाला फ्यूल रुक जाता है और इंजन अचानक बंद हो सकता है। इससे विमान की पावर खत्म हो जाती है और कई अहम सिस्टम भी बंद हो सकते हैं।

टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद ही बंद हुआ फ्यूल!

जांच में आशंका जताई गई है कि टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद ही फ्यूल कंट्रोल स्विच के मोड में कोई बदलाव हुआ है। हालांकि, यह अब तक साफ नहीं हो सका है कि यह बदलाव किसी तकनीकी खराबी की वजह से हुआ या इंसानी भूल के कारण। ब्लैक बॉक्स में रिकॉर्ड हुए डाटा का विश्लेषण जारी है, लेकिन इस पूरे प्रोसेस में कई महीने लग सकते हैं।

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