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70 के दशक में चुनावी धांधली का निराधार आरोप लगाने के कारण घट गई थी बलराज मधोक की राजनीतिक साख

तरह-तरह के निराधार आरोप लगाने वालों और उस पर विश्वास करने वाले नेताओं-कार्यकर्ताओं की संख्या इस बीच बढ़ी है। इस कारण भी राजनीति की साख कम हुई है। इस कारण और दूसरे कई कारणों से बलराज मधोक को भारतीय जनसंघ ने सन 1973 में पार्टी से निकाल दिया था

Surendra Kishoreअपडेटेड Aug 16, 2025 पर 10:12 PM
70 के दशक में चुनावी धांधली का निराधार आरोप लगाने के कारण घट गई थी बलराज मधोक की राजनीतिक साख
70 के दशक में चुनावी धांधली का निराधार आरोप लगाने के कारण घट गई थी बलराज मधोक की राजनीतिक साख

भारतीय जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष बलराज मधोक ने सन 1971 में यह आरोप लगाया था कि प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने मत पत्रों पर लगी अदृश्य रशियन स्याही के जरिए धांधली करके लोक सभा चुनाव जीत लिया है। हालांकि, मधोक के इस आरोप पर उनके दल जनसंघ के भी किसी बड़े नेता ने विश्वास नहीं किया। इस अफवाह को बढ़ावा नहीं दिया गया। इस निराधार आरोप के कारण खुद मधोक की राजनीतिक साख कम हुई। आजकल तो आए दिन चुनावी धांधली के आरोप लगते रहते हैं।

तरह-तरह के निराधार आरोप लगाने वालों और उस पर विश्वास करने वाले नेताओं-कार्यकर्ताओं की संख्या इस बीच बढ़ी है। इस कारण भी राजनीति की साख कम हुई है। इस कारण और दूसरे कई कारणों से बलराज मधोक को भारतीय जनसंघ ने सन 1973 में पार्टी से निकाल दिया था।

प्रोफेशर मधोक तब नई दिल्ली लोक सभा चुनाव क्षेत्र में इंदिरा कांग्रेस के शशि भूषण से चुनाव हार गये थे। उससे पहले वह दो बार सांसद चुने गये थे।

भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक मधोक ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की भी स्थापना की थी। मधोक की यह भी शिकायत रही कि उन्हें दरकिनार करके अटल बिहारी वाजपेयी को पार्टी में आगे बढ़ाया गया था। मिजाज से मधोक अतिवादी थे, जबकि वाजपेयी मध्यमार्गी।

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