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लोकसभा सांसद के मैनेजर से 92 लाख रुपए ले उड़े साइबर ठग, WhatsApp के जरिए बिछाया ठगी का जाल

WhatsApp Scam : सांसद और उनकी टीम ने तुरंत साइबर क्राइम पुलिस में शिकायत दर्ज की। हालांकि लेन-देन दो हफ्ते पहले हो चुके थे, इसलिए ठग ज्यादातर रकम निकाल ले गए। पुलिस केवल 7 लाख रुपये की राशि को ही फ्रीज कर पाई, बाकी पैसा हाथ से निकल चुका था

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 12, 2025 पर 4:36 PM
लोकसभा सांसद के मैनेजर से 92 लाख रुपए ले उड़े साइबर ठग, WhatsApp के जरिए बिछाया ठगी का जाल
WhatsApp Scam : देश में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहे हैं और अब ये साइबर ठग बड़े लोगों व संस्थानों को भी निशाना बना रहे हैं।

WhatsApp Scam देश में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहे हैं और अब ये साइबर ठग बड़े लोगों व संस्थानों को भी निशाना बना रहे हैं। हाल ही में काकीनाडा के सांसद और टी टाइम कंपनी के मालिक उदय श्रीनिवास के फाइनेंस मैनेजर  से ठगी का मामला सामने आया। साइबर ठगों ने खुद को सांसद बताकर 92 लाख रुपये हड़प लिए। यह मामला 22 अगस्त को तब सामने आया जब कंपनी के मुख्य वित्त प्रबंधक गंगीसेट्टी श्रीनिवास राव को व्हाट्सएप पर एक अज्ञात नंबर से संदेश आया। उस नंबर पर सांसद उदय श्रीनिवास की प्रोफ़ाइल फोटो लगी हुई थी, जिससे उन्हें यकीन हो गया कि यह उनके बॉस का नया नंबर है। इसी गलतफहमी का फायदा उठाकर अपराधियों ने बड़ी रकम निकलवा ली।

92 लाख रुपए की ठगी

सांसद और उनकी टीम ने तुरंत साइबर क्राइम पुलिस में शिकायत दर्ज की। हालांकि लेन-देन दो हफ्ते पहले हो चुके थे, इसलिए ठग ज्यादातर रकम निकाल ले गए। पुलिस केवल 7 लाख रुपये की राशि को ही फ्रीज कर पाई, बाकी पैसा हाथ से निकल चुका था। पुलिस ने बताया कि अपराधियों ने सोशल इंजीनियरिंग का तरीका अपनाया। वे फ़ोन या व्हाट्सएप पर खुद को भरोसेमंद लोगोंजैसे बॉस, पुलिस अधिकारी या परिवार का सदस्यबनाकर सामने आते हैं, ताकि आसानी से पीड़ितों को भावनात्मक दबाव में लाकर पैसे ऐंठ सकें।

ठगों ने ऐसे बिछाया जाल

सांसद और उनकी टीम ने तुरंत साइबर क्राइम पुलिस में शिकायत दर्ज कीहालांकि लेन-देन दो हफ्ते पहले हो चुके थे, इसलिए ठग ज्यादातर रकम निकाल ले गएपुलिस केवल 7 लाख रुपये की राशि को ही फ्रीज कर पाई, बाकी पैसा हाथ से निकल चुका था पुलिस ने बताया कि अपराधियों ने सोशल इंजीनियरिंग का तरीका अपनायावे फ़ोन या व्हाट्सएप पर खुद को भरोसेमंद लोगोंजैसे बॉस, पुलिस अधिकारी या परिवार का सदस्यबनाकर सामने आते हैं, ताकि आसानी से पीड़ितों को भावनात्मक दबाव में लाकर पैसे ऐंठ सकें

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