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जांगिड सर, जिनके चाहने वालों की पत्रकारिता जगत में तादाद थी बड़ी!

देश के सबसे मशहूर पत्रकारिता प्रशिक्षण संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन में हिंदी पत्रकारिता विभाग के संस्थापक अध्यक्ष रहे डॉक्टर रामजीलाल जांगिड का निधन हो गया है। डॉक्टर जांगिड कई बड़े हिंदी अखबारों में काम करने के बाद आईआईएमसी से जुड़े और दो दशक लंबे कार्यकाल के दौरान हजारों युवाओं को पत्रकार के तौर पर प्रशिक्षित किया। अपने छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय रहे डॉक्टर जांगिड रिटायरमेंट के बाद भी काफी सक्रिय थे

Brajesh Kumar Singhअपडेटेड Aug 10, 2025 पर 7:30 PM
जांगिड सर, जिनके चाहने वालों की पत्रकारिता जगत में तादाद थी बड़ी!
डॉक्टर रामजीलाल जांगिड नहीं रहे। करीब 86 साल की उम्र में कल दोपहर उन्होंने नोएडा में अंतिम सांस ली

डॉक्टर रामजीलाल जांगिड नहीं रहे। करीब 86 साल की उम्र में कल दोपहर उन्होंने नोएडा में अंतिम सांस ली। हिंदी पत्रकारिता और पत्रकारिता प्रशिक्षण में अग्रणी नाम था डॉक्टर जांगिड का। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) में जब हिंदी पत्रकारिता का पाठ्यक्रम 1987 में शुरू किया गया, तो इसके संस्थापक पाठ्यक्रम निदेशक बने डॉक्टर जांगिड। अपने छात्रों, शिष्यों के बीच ‘जांगिड सर’ के नाम से मशहूर। संस्थान छोड़ने के बाद भी पूर्व छात्रों से जीवंत संपर्क, हमेशा खोज- खबर लेते रहना। अगर कोई बेरोजगार है, तो उसके लिए रोजगार की चिंता करना, नौकरी दिलाने का प्रयत्न करना। जो अच्छा कर रहा है, उसकी प्रगति देखकर खुश होना, उसको पुरस्कार दिलाने की सोचना।

जांगिड सर से मेरा परिचय वर्ष 1995 में हुआ। पहली मुलाकात हुई 15 जुलाई 1995 को। ये वो दिन था, जब मैं भारतीय जन संचार संस्थान के हिंदी पत्रकारिता पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए दिल्ली इंटरव्यू देने आया था। इंटरव्यू लेने वालों में शामिल थे डॉक्टर जांगिड। इंटरव्यू देने के लिए जो छात्र आए थे, उनमें से ज्यादातर ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन किये हुए। कइयों ने अखबारों में लेख छपा रहे थे, और कुछ नहीं, तो ‘पाठकों के पत्र’ कॉलम में ही अपनी उपस्थिति दर्ज करा रखी थी। कई तो एमफिल वाले भी थे।

मेरा अपना अनुभव

इन सबके बीच मैं था, जिसका ग्रेजुएशन का रिजल्ट भी नहीं निकला था, सिर्फ परीक्षाएं हुई थीं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन थर्ड इयर का छात्र था मैं उस समय, सोशियोलॉजी ऑनर्स का। पत्रकारिता से कोई लेना- देना नहीं, कभी कोई आर्टिकल नहीं लिखा था। राजनीति और इतिहास की थोड़ी- बहुत जानकारी थी, क्योंकि पत्र- पत्रिकाएं स्कूल के दिनों से ही पढता था, इतिहास और राजनीति बीए प्रथम और द्वितीय वर्ष में ‘सबसिडरी सब्जेक्ट’ के तौर पर पढ़ा था।

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