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चुनिंदा कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स की खुली बिक्री को मिल सकती है इजाजत, सरकार ने एक्सपर्ट पैनल के सामने रखा प्रपोजल

यह कदम भारत के कॉन्ट्रासेप्शन के माहौल में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। भारत में टीनएज प्रेग्नेंसी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। प्रपोजल में जोर दिया गया है कि OTC स्टेटस के बावजूद, गोली के पैक और ब्लिस्टर पर सख्त वॉर्निंग लेबल होने चाहिए

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Nov 20, 2025 पर 12:59 PM
चुनिंदा कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स की खुली बिक्री को मिल सकती है इजाजत, सरकार ने एक्सपर्ट पैनल के सामने रखा प्रपोजल
इस कदम से पूरे भारत में जनरल स्टोर और केमिस्ट शॉप्स पर इन पिल्स की पहुंच काफी बढ़ जाएगी।

भारत जल्द ही लेवोनोर्गेस्ट्रेल-बेस्ड इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स को ओवर द काउंटर (OTC) बेचने की इजाजत दे सकता है। इसका मतलब है कि ये गोलियां डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना बेची जा सकेंगी। इन पिल्स को आमतौर पर मॉर्निंग-आफ्टर पिल्स के नाम से जाना जाता है। इस कदम से पूरे भारत में जनरल स्टोर और केमिस्ट शॉप्स पर इन पिल्स की पहुंच काफी बढ़ जाएगी। इस बदलाव से यह गोली दवा कानूनों के शेड्यूल K के तहत आ जाएगी, जो ओवर द काउंटर बिक्री को कंट्रोल करता है।

यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर ने एक एक्सपर्ट पैनल 'ड्रग्स कंसल्टेटिव कमेटी' (DCC) के सामने एक प्रपोजल रखा है। इसमें जोर दिया गया है कि OTC स्टेटस के बावजूद, गोली के पैक और ब्लिस्टर पर सख्त वॉर्निंग लेबल होने चाहिए। पैनल डिस्कशन के एजेंडा डॉक्यूमेंट में कहा गया है लेवोनोर्गेस्ट्रेल टैबलेट 0.75mg/1.5mg जो कि इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव हैं, उन्हें ड्रग्स रूल्स 1945 के शेड्यूल K की एंट्री नंबर 15 के तहत जोड़ा जाएगा। अगर पैनल इसे मान लेता है और टॉप ड्रग कंट्रोलर इस बदलाव को मंजूरी दे देता है, तो यह कदम भारत के कॉन्ट्रासेप्शन के माहौल में एक बड़ा बदलाव लाएगा।

देश में बढ़ रही है टीनएज प्रेग्नेंसी

भारत में टीनएज प्रेग्नेंसी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसकी वजह है सेक्सुअल एक्टिविटी जल्दी शुरू होना, कॉन्ट्रासेप्शन के बारे में कम जानकारी, स्कूल-बेस्ड सेक्स एजुकेशन में कमी, और कॉन्फिडेंशियल रिप्रोडक्टिव हेल्थ सर्विसेज तक सीमित पहुंच। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 (2019-21) में पाया गया कि सर्वे के वक्त 15-19 साल की 6.8% महिलाओं ने या तो बच्चे को जन्म दिया था या वे प्रेग्नेंट थीं। पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे कुछ राज्यों में यह दर ज्यादा थी।

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