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Pahalgam Attack: 'मैंने कलमा पढ़ा तो बच गया' असम के प्रोफेसर ने याद किया पहलगाम में आतंकियों के साथ का वो डरावना पल

Pahalgam Terror Attack: देबाशीष भट्टाचार्य ने बताया, "मैं अपने परिवार के साथ एक पेड़ के नीचे सो रहा था, तभी मैंने सुना कि मेरे बगल में बैठे सभी लोग कलमा पढ़ रहे हैं। मैंने भी कलमा पढ़ना शुरू कर दिया। तभी एक आतंकवादी मेरे पास आया और मेरे बगल में बैठे व्यक्ति के सिर पर गोली मार दी

Shubham Sharmaअपडेटेड Apr 23, 2025 पर 2:43 PM
Pahalgam Attack: 'मैंने कलमा पढ़ा तो बच गया' असम के प्रोफेसर ने याद किया पहलगाम में आतंकियों के साथ का वो डरावना पल
Pahalgam Attack: 'मैंने कलमा पढ़ा तो बच गया' असम के प्रोफेसर ने याद किया पहलगाम में आतंकियों के साथ का वो डरावना पल

दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकी हमले में 26 बेकसूर सैलानियों की जान चली गई। जिंदा बचे लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों से मिली जानकारी के अनुसार आतंकी बैसरन में घूम रहे पर्यटकों के पास पहुंचे। उनसे उनकी पहचान और नाम पूछा और गोली मार दी। इतना ही नहीं आतंकियों ने कई लोगों से कमला पढ़ने को भी कहा, जो पढ़ पाया उसे छोड़ दिया, जो नहीं पढ़ पाया उसे मार दिया। जिंदा बचे लोगों में से एक असम यूनिवर्सिटी के  बंगाली डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य भी हैं, जो बैसारन में हमले वाली जगह अपने परिवार के साथ एक पेड़ नीचे लेटे थे। उन्होंने कहा मैं बच गया, क्योंकि मैंने कलमा पढ़ दिया था।

News18 असम से बात करते हुए, देबाशीष भट्टाचार्य ने बताया, "मैं अपने परिवार के साथ एक पेड़ के नीचे सो रहा था, तभी मैंने सुना कि मेरे बगल में बैठे सभी लोग कलमा पढ़ रहे हैं। मैंने भी कलमा पढ़ना शुरू कर दिया। तभी एक आतंकवादी मेरे पास आया और मेरे बगल में बैठे व्यक्ति के सिर पर गोली मार दी।"

उन्होंने आगे याद किया, फिर वह मेरी तरफ झुका और पूछा क्या कर रहे हो? मैंने और भी जोर से कलमा पढ़ा। पता नहीं क्यों। फिर वह वहां से चला गया। प्रोफसर ने कहा, "इस मौके को भांपते हुए मैं अपनी पत्नी और बेटे के साथ पहाड़ी पर चढ़ गया। हमने बाड़ पार की और घोड़े के खुरों के निशानों के पीछे-पीछे करीब 2 घंटे तक चले।"

प्रोफेसर भट्टाचार्य ने बताया कि फिर हमने एक घोड़ा लिया और सवार होकर अपने होटल वापस आ गए।

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