Rupee Depreciation: डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी से पढ़ाई के लिए विदेश गए बच्चों का खर्च बढ़ गया है। कॉलेज की फीस में सालाना करीब 7 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और पेरेंट्स के लिए खर्च पूरा करने की चुनौती बड़ी हो गई है।

Rupee Depreciation: डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी से पढ़ाई के लिए विदेश गए बच्चों का खर्च बढ़ गया है। कॉलेज की फीस में सालाना करीब 7 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और पेरेंट्स के लिए खर्च पूरा करने की चुनौती बड़ी हो गई है।
नोएडा में रहने वाले पेशे से किसान ब्रिज कुमार ने पिछले साल फरवरी में अपने बेटे जतिन का दाखिला MBA कोर्स के लिए कनाडा की एक यूनिवर्सिटी में करवाया था। जतिन की पहले साल की फीस उन्होंने जमीन बेच कर पूरी कर दी लेकिन दूसरे साल में अब पढ़ाई समेत रहने और खाने पीने का खर्च बढ़कर सवा लाख के बजाय पौने दो लाख प्रति महीने तक पहुंच गया है। जिससे पूरा परिवार मुश्किल में है।
यही हाल ग्रेटर नोएडा के दनकौर में रहने वाले रामबीर तिवारी का भी है जिनका बेटा आकाश एम टेक की पढ़ाई के लिए पिछले साल अगस्त में अमेरिका के न्यू जर्सी की एक यूनिवर्सिटी गया है।
ओवरसीज एजुकेशन और इमिग्रेशन कंसल्टेंट्स के मुताबिक सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि कनाडा ऑस्ट्रेलिया और यूरोपियन देशों में पढ़ने का खर्च पिछले एक साल में लगभग 7 से 10% तक बढ़ गया है। पिछले 15 साल से कंसल्टेंसी दे रहे संचित गुप्ता का कहना है कि एजुकेशन लोन लेकर विदेश में बच्चे पढ़ाने वाले पेरेंट्स कर्ज के दलदल में फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक वीजा नियमों में सख्ती से छात्र पहले ही परेशान थे। अब वीजा फीस और फ्लाइट किराया तक खर्च चौतरफा बढ़ गया है।
विदेश में बच्चे पढ़ा रहे पैरेंट्स के लिए डॉलर के मुकाबले गिरता रुपया किसी नाइटमेयर से कम नहीं है। साथ ही भारत के दूसरे देशों से बनते बिगड़ते रिश्ते भी बोझ को और बढ़ा रहे हैं। यही वजह कुछ पेरेंट्स को एजुकेशन लोन का टॉपअप कराना पड़ रहा है तो कुछ को अपने खर्चे में कटौती करना पड़ रहा ताकि बच्चा विदेश में टिका रह सके और पढ़ाई पूरी कर सके।
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