Sheikh Hasina: फांसी की सजा के बाद शेख हसीना के लिए अब आगे क्या, भारत सौंपेगा उन्हें वापस, क्या कहता है दोनों देशों के बीच हुआ करार?

Sheikh Hasina Death Sentence: ढाका में अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाई है। सालों तक बांग्लादेश पर शासन करने वाली हसीना, एक छात्र विद्रोह के बाद अगस्त 2024 में देश छोड़कर भाग गईं। पूर्व प्रधानमंत्री ने एक बयान में इस फैसले की निंदा करते हुए इसे 'पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित' बताया। लेकिन सवाल है कि अब उनके लिए आगे क्या है

अपडेटेड Nov 17, 2025 पर 8:54 PM
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Sheikh Hasina: फांसी की सजा के बाद शेख हसीना के लिए अब आगे क्या

ढाका के युद्ध अपराध न्यायालय, जिसे इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) के नाम से जाना जाता है, उसने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों के मामले में मौत की सजा सुनाई है। इसी के बाद ये सवाल उठ रहा है कि अब हसीना के साथ क्या होगा या अब आगे उनके सामने क्या रास्ता है?

हसीना, जिन्होंने दशकों तक बांग्लादेश पर शासन किया, अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन के जरिए सत्ता से हटाए जाने के बाद देश छोड़कर भाग गई थीं। अपने बयान में हसीना ने फैसले को "पक्षपाती और राजनीतिक रूप से प्रेरित" बताया।

फैसले के बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत से मांग की कि वह हसीना को "तत्काल वापस सौंपे"। मंत्रालय ने कहा कि भारत ऐसा करने के लिए "दोनों देशों के बीच मौजूद प्रत्यर्पण संधि" के तहत बाध्य है।


मंत्रालय ने चेतावनी देते हुए कहा, "अगर कोई दूसरा देश इन व्यक्तियों- जो मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी ठहराए गए हैं- उन्हें शरण देता है, तो यह गंभीर रूप से गैर-दोस्ताना कदम और न्याय का अपमान होगा।"

भारत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उसने फैसले को "नोट किया है" और वह "बांग्लादेश की जनता के सर्वोत्तम हितों के प्रति प्रतिबद्ध" है। भारत ने कहा, "हम सभी हितधारकों के साथ रचनात्मक तरीके से जुड़ने के लिए तैयार हैं।"

गौरतलब है कि भारतीय बयान में हसीना को वापस भेजने की मांग पर कोई साफ और सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी गई।

शेख हसीना कहां हैं?

अगस्त 2024 में बांग्लादेश छोड़ने के बाद से हसीना की गतिविधियों पर नजर डालें, तो-

5 अगस्त को वह गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश के हिंडन एयर फोर्स बेस पर C-130J सैन्य विमान से पहुंचीं। हसीना ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की और उन्हें शुरुआत में पास के एक सुविधा केंद्र में ठहराया गया। उन्हें एक राष्ट्राध्यक्ष की तरह ही सभी प्रोटोकॉल दिए गए।

बाद में उन्हें दिल्ली के एक सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। रिपोर्टों के मुताबिक, उन्हें लुटियन्स दिल्ली में एक बंगले में रखा गया है, जो महत्वपूर्ण व्यक्तियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह बंगला इंडिया गेट और खान मार्केट के पास कहीं है। अधिकारियों ने सुरक्षा कारणों से सही लोकेशन सार्वजनिक नहीं की है।

केंद्रीय एजेंसियों और दिल्ली पुलिस की कमांडो यूनिट को बंगले की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा में लगाया गया है। ‘वॉचर्स और स्पॉटर्स’ लगातार निगरानी करते हैं। हसीना को कई बार दिल्ली के लोदी गार्डन में टहलते भी देखा गया।

बताया जाता है कि हसीना ने अपनी बेटी सईमा वाजेद, जो WHO की रीजनल डायरेक्टर हैं, उनसे पिछले महीनों में कई बार मुलाकात की है। वाजेद भी दिल्ली में ही रहती हैं और उन्हें भी सुरक्षा दी गई है। ये सभी मुलाकातें बेहद गोपनीय सुरक्षा व्यवस्था के तहत हुईं।

अक्टूबर में हसीना ने कहा था, “मैं दिल्ली में स्वतंत्र रूप से रहती हूं, लेकिन अपने परिवार के इतिहास को देखते हुए सतर्क रहती हूं।” 1975 में अपने पिता की हत्या के बाद भी वह आधे दशक तक भारत में रहीं।

उन्होंने कहा, “मैं तभी वापस जाऊंगी, जब वहां की सरकार वैध हो, संविधान बहाल हो और कानून-व्यवस्था सच में कायम हो।”

हसीना ने साफ कर दिया कि वह उस सरकार के दौरान नहीं लौटेंगी, जिसकी चुनाव प्रक्रिया में उनकी पार्टी को बाहर रखा गया हो। वह भारत में ही रहने का इरादा रखती हैं।

हसीना के लिए अब आगे क्या?

ICT के आदेश के अनुसार हसीना की संपत्तियां जब्त की जाएंगी। ICT ने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमान खान की तरफ से किए गए अपराधों के लिए न केवल मौत की सजा दी गई है, बल्कि उनकी सभी संपत्तियों को भी राज्य के अधीन करने का आदेश दिया गया है। इसे तुरंत लागू किया जाए।”

हसीना के खिलाफ आया यह फैसला सुप्रीम कोर्ट में अपील किया जा सकता है, लेकिन यह केवल 30 दिनों के भीतर ही संभव है और तभी जब हसीना की गिरफ्तारी हो या वह खुद ही लौटकर यह अपील दायर करें।

अगर वह एक महीने से ज्यादा समय तक सम्मन को नजरअंदाज करती हैं, तो उन्हें भगोड़ा या फरार घोषित किया जा सकता है। ढाका इंटरपोल से रेड नोटिस जारी करने का अनुरोध भी कर सकता है।

अगर अदालत उन्हें फरार घोषित कर देती है, तो सरकार उनकी संपत्तियां जब्त कर सकती है और उनका पासपोर्ट भी रद्द कर सकती है। बांग्लादेश प्रत्यर्पण की मांग को और जोरदार कर सकता है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा भारत-बांग्लादेश संबंधों को किस दिशा में ले जाता है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

स्वतंत्र शोधकर्ता अब्बास फैज ने Al-Jazeera से कहा कि सरकार इस फैसले के जरिए यह दिखाना चाहती है कि उसने “लोगों की इच्छा” का सम्मान किया है, खासकर अगले साल होने वाले चुनावों से पहले।

उन्होंने कहा, “अंतरिम सरकार यह दिखाना चाहती है कि उनके समय में बेहतर और साफ न्यायिक प्रक्रिया संभव है। लेकिन इसका अंतिम असर क्या होगा, खासकर भारत-बांग्लादेश संबंधों पर, यह देखना होगा।”

फैज ने कहा कि बांग्लादेश की जनता अभी भी न्याय प्रक्रिया के समापन की उम्मीद रखती है। उन्होंने कहा, “यह फैसला राष्ट्रीय सुलह की प्रक्रिया के दरवाजे भी खोलता है, जो बुरा नहीं है।”

जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर स्रीराधा दत्ता ने कहा कि भारत किसी भी हाल में हसीना को प्रत्यर्पित नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “भारत किसी भी परिस्थिति में उन्हें नहीं सौंपेगा… पिछले डेढ़ साल में भारत-बांग्लादेश के रिश्ते कई बार बेहद तनावपूर्ण रहे हैं।”

भारत-बांग्लादेश संधि के अनुसार, राजनीतिक मामलों में शामिल व्यक्तियों का प्रत्यर्पण नहीं किया जा सकता। अब देखना होगा कि दोनों देशों के संबंध आगे कौन सा मोड़ लेते हैं।

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