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UP News: यूपी में जाति आधारित राजनीतिक रैलियों पर बैन, FIR में भी नहीं लिखी जाएगी किसी की Caste

UP News: यूपी के कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार द्वारा रविवार देर रात राज्य और जिलों के सभी जिलाधिकारियों, सचिवों और पुलिस प्रमुखों को जारी किए गए इस आदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 16 सितंबर के आदेश का हवाला दिया गया है। इस आदेश के बाद अब राज्य में कोई भी राजनीतिक दल एवं अन्य संगठन जाति आधारित रैली नहीं कर सकेगा

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Sep 22, 2025 पर 3:14 PM
UP News: यूपी में जाति आधारित राजनीतिक रैलियों पर बैन, FIR में भी नहीं लिखी जाएगी किसी की Caste
UP News: यूपी में जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने बड़ा कदम उठाया है

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए जाति-आधारित सभी राजनीतिक रैलियों पर प्रतिबंध लगा दी है। इसके अलावा योगी सरकार ने आदेश दिया है कि पुलिस FIR, नोटिस बोर्ड और गिरफ्तारी मेमो में किसी भी आरोपी की अब जाति का जिक्र नहीं किया जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए यूपी के मुख्य सचिव ने निर्देश जारी किए हैं कि सभी कानूनी दस्तावेजों, पुलिस रिकॉर्ड्स और सार्वजनिक स्थानों पर अब किसी भी व्यक्ति के जाति का उल्लेख नहीं होने चाहिए। सरकार ने कहा है कि जाति आधारित रैलियां सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा हैं।

'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी के कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार द्वारा रविवार देर रात राज्य और जिलों के सभी जिलाधिकारियों, सचिवों और पुलिस प्रमुखों को जारी किए गए इस आदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 16 सितंबर के आदेश का हवाला दिया गया है। इस आदेश के बाद अब राज्य में कोई भी राजनीतिक दल एवं अन्य संगठन जाति आधारित रैली नहीं कर सकेगा। इसका सीधा प्रभाव उत्तर प्रदेश में जातीय राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों पर पड़ेगा।

उन्होंने जारी निर्देशों में हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देकर स्पष्ट किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार की घोषित नीति है कि राज्य में एक सर्वसमावेशी एवं संवैधानिक मूल्यों के अनुकूल व्यवस्था लागू हो। इसलिए एफआईआर एवं गिरफ्तारी मेमो में आरोपित की जाति नहीं लिखी जाएगी। निर्देश में कहा गया है कि पुलिस की ओर से दर्ज की जाने वाली एफआईआर, गिरफ्तारी मेमो और अन्य दस्तावेजों में आरोपियों की जाति का उल्लेख नहीं किया जाएगा।

इनके स्थान पर उनके माता-पिता के नाम लिखे जाएंगे। थानों के नोटिस बोर्ड, वाहनों और साइनबोर्ड पर लगे जातीय संकेत और नारे भी हटाए जाएंगे। आदेश के पालन के लिए पुलिस नियमावली और एसओपी में संशोधन भी किया जाएगा। सोशल मीडिया पर भी जाति आधारित कंटेंट पर सख्त निगरानी रखी जाएगी। हालांकि एससी-एसटी एक्ट जैसे विशेष मामलों में जाति का उल्लेख जारी रहेगा।

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