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Manoj Jarange Patil: मराठा आरक्षण आंदोलन के चेहरा मनोज जरांगे कौन हैं? उनके एक इशारे पर हिल जाती है महाराष्ट्र सरकार

Manoj Jarange Patil Mumbai Morcha: मनोज जरांगे पाटिल की मराठा हितों के लिए लड़ाई के कारण पहले भी महाराष्ट्र सरकार और सत्तारूढ़ दलों को उनकी मांगों पर ध्यान देने और टकराव से बचने के लिए अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा है। हमेशा सफेद कपड़ों और केसरिया पटका पहने नजर आने वाले इस दुबले-पतले कार्यकर्ता की आक्रामक मुद्रा ने राजनीतिक दिग्गजों को सतर्क कर दिया है

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Aug 30, 2025 पर 10:35 PM
Manoj Jarange Patil: मराठा आरक्षण आंदोलन के चेहरा मनोज जरांगे कौन हैं? उनके एक इशारे पर हिल जाती है महाराष्ट्र सरकार
Maratha Quota Protest: उनके आंदोलन में हिंसा भड़कने के बाद ही मनोज जरांगे के जीवन में सब कुछ बदल गया

Mumbai Maratha Quota Protest: महाराष्ट्र के एक गांव में साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले मराठा आरक्षण आंदोलन के स्टार कार्यकर्ता और चेहरा मनोज जरांगे पाटिल ने अपने जीवन में एक लंबा सफर तय किया है। उन्होंने एक होटल और चीनी कारखाने में काम करने के साथ शुरू हुआ था। जरांगे ने शुक्रवार (30 अगस्त) को जब फिर से आमरण अनशन शुरू किया तो बड़ी संख्या में मराठा समुदाय के लोग उनके प्रति एकजुटता दिखाने के लिए दक्षिण मुंबई स्थित आंदोलन स्थल 'आजाद मैदान' में पहुंच गए। साल 2023 के बाद से यह जरांगे का 7वां अनशन है। इसे आरक्षण पाने के लिए समुदाय की अंतिम लड़ाई बताया जा रहा है।

मनोज जरांगे की मराठा हितों के लिए लड़ाई के कारण पहले भी सरकार और सत्तारूढ़ दलों को उनकी मांगों पर ध्यान देने और टकराव से बचने के लिए अपने प्रतिनिधि भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा है। हमेशा सफेद कपड़ों और केसरिया पटका पहने नजर आने वाले इस दुबले-पतले कार्यकर्ता की आक्रामक मुद्रा ने राजनीतिक दिग्गजों को सतर्क कर दिया है।

30% है मराठा समुदाय की संख्या

जरांगे के परिचित बताते हैं कि सक्रिय राजनीति छोड़ने और किसानों एवं मराठों के लिए आंदोलन शुरू करने से पहले वह कुछ समय तक कांग्रेस कार्यकर्ता रहे थे। राज्य में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मराठा समुदाय के सदस्यों की संख्या लगभग 30 फीसदी है। दो साल पहले तक मनोज जरांगे कोई जाना-पहचाना नाम नहीं थे। 29 अगस्त, 2023 को जब उन्होंने जालना जिले के अपने अंतरवाली सरती गांव में मराठों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की, तो उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया।

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