Yamuna Water Level : दिल्ली में यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ने से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। बुधवार शाम तक जलस्तर 207.33 मीटर तक पहुंच गया, जो 2013 के रिकॉर्ड स्तर को पार कर चुका है। दिल्ली में यमुना नदी का अब तक का ये तीसरा सबसे ऊंचा स्तर है। शाम 9 बजे दर्ज किए गए इस जलस्तर ने कई रिहायशी और कारोबारी इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ा दिया है। इससे पहले 1978 और 2023 में यमुना का पानी रिकॉर्ड ऊँचाई तक गया था, जिससे राजधानी में भारी तबाही देखी गई थी।
पानी में डूबे दिल्ली के ये इलाके
दिल्ली में यमुना का पानी बढ़ने से यमुना बाज़ार, गीता कॉलोनी, मजनू का टीला, कश्मीरी गेट, गढ़ी मांडू और मयूर विहार जैसे कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। यहां रिहायशी और कारोबारी दोनों तरह की इमारतें प्रभावित हुई हैं। अधिकारियों के मुताबिक अब तक 14,000 से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है और राहत-बचाव कार्य लगातार चल रहा है। आईटीओ, गीता कॉलोनी और मयूर विहार में लोगों के लिए अस्थायी राहत शिविर भी बनाए गए हैं।
दिल्ली में यमुना का पानी सड़कों और सार्वजनिक जगहों तक पहुंचने लगा है। आउटर रिंग रोड पर ट्रैफिक बाधित है और आईटीओ से रिंग रोड की ओर जाने वाला मार्ग अब वाहनों के लिए बंद कर दिया गया है। वासुदेव घाट, मोनेस्ट्री मार्केट और पुरानी दिल्ली रेलवे ब्रिज को भी सुरक्षा कारणों से सील कर दिया गया है। बाढ़ का पानी निगमबोध घाट तक पहुंच गया है, जो राजधानी का सबसे पुराना और व्यस्त श्मशान घाट है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर जलस्तर और बढ़ा, तो यहाँ अंतिम संस्कार की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
निगमबोध घाट तक पहुंचा पानी
नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि अभी निगमबोध घाट को बंद नहीं किया गया है, लेकिन अगर यमुना का पानी और बढ़ा तो इसे अस्थायी रूप से रोकना पड़ सकता है। लाल किले के पीछे रिंग रोड पर स्थित यह श्मशान घाट राजधानी का सबसे पुराना और सबसे बड़ा माना जाता है। यहां एक साथ 42 चिताए जलाने की व्यवस्था है, जिसकी वजह से यह दिल्ली का सबसे व्यस्त श्मशान घाट भी है।निगमबोध घाट के प्रबंधक ने बताया कि फिलहाल अंतिम संस्कार हो रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या पहले से कम हो गई है। पानी अभी तक चिता स्थल तक नहीं पहुंचा है, हालांकि अगर यमुना का स्तर और बढ़ा तो काम रोकना पड़ सकता है।
रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचा पानी का स्तर
अधिकारियों के अनुसार जलस्तर बढ़ने की बड़ी वजह वज़ीराबाद और हथिनीकुंड बैराज से लगातार छोड़ा जा रहा अतिरिक्त पानी है। केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष ने चेतावनी दी है कि आने वाले समय में नदी का स्तर और ऊपर जा सकता है। अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली के उत्तर, उत्तर-पूर्व, शाहदरा, पूर्व, मध्य और दक्षिण-पूर्वी इलाके इस समय बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। 2023 में आई भयंकर बाढ़ के दौरान यमुना का जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुंच गया था। इससे पहले 1978 में यह 207.49 मीटर, 2010 में 207.11 मीटर और 2013 में 207.32 मीटर तक दर्ज किया गया था। फिलहाल सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग ओखला बैराज से छोड़े जा रहे पानी की स्थिति पर नज़र रख रहा है और इसके लिए उत्तर प्रदेश के संबंधित विभाग से लगातार तालमेल किया जा रहा है।
अधिकारियों का कहना है कि ओखला बैराज से तेज़ी से पानी छोड़ा जाना राजधानी से जल निकासी को आसान बनाता है। वहीं, नगर निगम ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है कि यमुना किनारे बाढ़ प्रभावित इलाकों और राहत शिविरों में मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों को रोकने के लिए कीटनाशक का छिड़काव किया जाए।
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