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Pitra Paksha 2025: इस समय से पहले कर लें पितरों का तर्पण, जानें किस समय शुरू होगा ग्रहण

Pitra Paksha 2025: इस बार पितृपक्ष के साथ ही पूर्ण चंद्र ग्रहण भी लगेगा। वहीं इसके समापन पर सूर्य ग्रहण होगा। ज्योतिषीय दृष्टि से यह संयोग अत्यंत दुर्लभ है, क्योंकि ऐसा योग पूरे 122 साल बाद बन रहा है। इसका सूतक लगने से पहले श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए।

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 07, 2025 पर 8:00 AM
Pitra Paksha 2025: इस समय से पहले कर लें पितरों का तर्पण, जानें किस समय शुरू होगा ग्रहण
ग्रहण का सूतक लगने से पहले कर लें पूर्णिमा का श्राद्ध और तर्पण।

Pitra Paksha 2025: पितृ पक्ष की अवधि का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। माना जाता है कि इस अवधि में पितृ अपने वंशजों के देखने आते हैं। उनके लिए की गई पूजा से प्रसन्न हो कर वे आशीर्वाद देते हैं और अपने लोक लौट जाते हैं। 15-16 दिनों की ये अवधि हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से शुरू होती है और आश्विन मास की अमावस्या पर सर्व पितृ विसर्जन के साथ समाप्त होती है। इस साल पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहे हैं और 21 सितंबर को खत्म होंगे। इस बार पितृपक्ष के साथ ही पूर्ण चंद्र ग्रहण भी लगेगा। वहीं इसके समापन पर सूर्य ग्रहण होगा। ज्योतिषीय दृष्टि से यह संयोग अत्यंत दुर्लभ है, क्योंकि ऐसा योग पूरे 122 साल बाद बन रहा है। यही कारण है कि इस बार का पितृपक्ष विशेष महत्व रखता है।

12.57 बजे से पहले कर लें श्राद्ध

इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत में यानी 7 सितंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण लग रहा है, जो भारत में भी नजर आएगा। इस वजह से इसका सूतक काल भी मान्य होगा। चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले लग जाता है। इस चंद्र ग्रहण का सूतक दिन में 12:57 बजे से लग जाएगा। तर्पण के लिए कुतुप मुहूर्त (सुबह 11:30 से दोपहर 12:30) और रौहिणी मुहूर्त (12:30 से 1:30) श्रेष्ठ माने जाते हैं। लेकिन इस बार पूर्णिमा तिथि पर चंद्र ग्रहण होने के कारण श्राद्ध करने वाले लोगों को सूतक से पहले तर्पण कर लेना चाहिए। अगर किसी कारण से ऐसा करना संभव न हो, तो ग्रहण पूरा होने के बाद यह विधि करनी चाहिए।

दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके करें तर्पण

अपने पितरों का ध्यान करें और दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके तर्पण करना चाहिए। इसके लिए पंच ग्रास यानी गाय, कुत्ता, कौआ, कीट और पतंगा का हिस्सा निकाल दें। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देकर विदा करें। माना जाता है कि पितृ पक्ष में ब्राह्मण भोज, तर्पण और दान करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।

कहां और कब से दिखेगा चंद्र ग्रहण

पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, अमेरिका और न्यूजीलैंड तक दिखाई देगा। यह रात 9.57 बजे शुरू होकर 8 सितंबर की रात 1;26 बजे तक चलेगा। करीब 3.28 घंटे तक चलने वाले इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में ढक जाएगा और लालिमा लिए हुए नज़र आएगा, जिसे ‘ब्लड मून’ कहा जाता है।

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