Japanese PM Shigeru Ishiba Resigns : जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के इस्तीफे के बाद अब सबकी नजरें इस पर हैं कि दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का अगला नेता कौन होगा। अगले प्रधानमंत्री का चयन इस बार पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल माना जा रहा है, क्योंकि इशिबा की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) और सहयोगी दल ने उनके कार्यकाल के दौरान संसद के दोनों सदनों में अपना बहुमत खो दिया है।
प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने दिया इस्तीफा
शिगेरु इशिबा ने पिछले साल अक्टूबर में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) की कमान संभाली थी, लेकिन इसके बाद से ही पार्टी संसद के दोनों सदनों में अपना बहुमत गंवा चुकी है। वह पिछले एक महीने से अपनी ही पार्टी के दक्षिणपंथी नेताओं के दबाव का सामना कर रहे थे, जो उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे थे। एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, इशिबा का इस्तीफा उस फैसले से ठीक एक दिन पहले आया है, जिसमें एलडीपी ने जल्द नेतृत्व चुनाव कराने की बात कही थी। अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता, तो यह उनके खिलाफ अविश्वास जैसा कदम माना जाता।
जानें क्यों उठाना पड़ा ये कदम
एनएचके की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री इशिबा ने पार्टी में फूट को रोकने के लिए इस्तीफा दिया। वहीं असाही शिंबुन अख़बार का कहना है कि वे बढ़ते दबाव और इस्तीफे की मांगों का सामना नहीं कर पा रहे थे। खबर है कि पूर्व प्रधानमंत्री और मौजूदा कृषि मंत्री ने शनिवार रात इशिबा से मुलाकात कर उन्हें स्वेच्छा से पद छोड़ने की सलाह दी। पिछले हफ़्ते पार्टी के उपनेता हिरोशी मोरियामा समेत एलडीपी के चार वरिष्ठ नेताओं ने भी अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, एलडीपी के सांसद और स्थानीय अधिकारी जो नया नेता चाहते हैं, वे सोमवार को एक औपचारिक अनुरोध देंगे। अगर पर्याप्त सदस्यों का समर्थन मिला तो पार्टी में नया नेतृत्व चुनाव कराया जाएगा।
रॉयटर्स के मुताबिक, अब एलडीपी को सबसे पहले शिगेरु इशिबा की जगह नया अध्यक्ष चुनना होगा। पिछली बार, सितंबर 2024 में हुए पार्टी नेतृत्व चुनाव में उम्मीदवारों को खड़ा होने के लिए कम से कम 20 सांसदों का समर्थन चाहिए था। इसके बाद उम्मीदवारों को पूरे जापान में बहस और प्रचार करना पड़ा था। चुनाव का नतीजा सांसदों और पार्टी के आम सदस्यों के वोट से तय हुआ था। उस बार नौ नेता मैदान में थे और इशिबा ने दूसरे दौर में जीत दर्ज की थी।
ये हैं जापान के पीएम पद के दावेदार
64 साल की ताकाइची जीतती हैं, तो वे जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनेंगी। वे एलडीपी की वरिष्ठ नेता हैं और आर्थिक सुरक्षा मंत्री से लेकर आंतरिक मामलों की मंत्री तक कई अहम पदों पर काम कर चुकी हैं। पिछले साल हुए पार्टी चुनाव में वह इशिबा से हार गई थीं। ताकाइची अपने रूढ़िवादी विचारों के लिए जानी जाती हैं। वह जापान के युद्ध में मारे गए सैनिकों को सम्मान देने के लिए अक्सर यासुकुनी मंदिर जाती हैं। हालांकि, कई पड़ोसी देश इस मंदिर को पुराने सैन्यवाद की निशानी मानते हैं। आर्थिक नीतियों में वह बैंक ऑफ जापान द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने की मुखर विरोधी रही हैं और कमजोर अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए सरकारी खर्च बढ़ाने की पक्षधर हैं।
44 साल के कोइज़ुमी एक लंबे राजनीतिक परिवार से आते हैं, जिसने जापान की राजनीति पर सौ साल से भी ज्यादा असर डाला है। वे आधुनिक दौर में जापान के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने। पिछले साल उन्होंने एलडीपी नेतृत्व चुनाव में हिस्सा लिया था और खुद को एक ऐसे सुधारक के रूप में पेश किया, जो घोटालों से जूझ रही पार्टी में जनता का भरोसा वापस ला सकते हैं। ताकाइची के उलट, जिन्होंने चुनाव हारने के बाद सरकार छोड़ दी थी, कोइज़ुमी इशिबा सरकार में कृषि मंत्री बने रहे। इस दौरान उन्होंने चावल की बढ़ती कीमतों को रोकने की कोशिशों की अगुवाई की, जो काफी चर्चा में रही। इससे पहले वे पर्यावरण मंत्री भी रह चुके हैं। 2019 में उन्होंने जापान को परमाणु ऊर्जा से मुक्त करने की वकालत की थी।
64 साल के हयाशी दिसंबर 2023 से मुख्य कैबिनेट सचिव की भूमिका निभा रहे हैं। यह एक बेहद अहम पद है, जिसमें सरकार के शीर्ष प्रवक्ता की जिम्मेदारी भी शामिल होती है। वे फुमियो किशिदा और फिर शिगेरु इशिबा की सरकार में इस पद पर रहे। अपने लंबे करियर में हयाशी रक्षा, विदेश और कृषि मंत्री जैसे कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। अक्सर जब किसी मंत्री ने इस्तीफा दिया, तो उन्हें उसकी जगह नियुक्त किया गया। हयाशी अंग्रेजी के अच्छे जानकार हैं। उन्होंने मित्सुई एंड कंपनी में काम किया है, हार्वर्ड केनेडी स्कूल से पढ़ाई की है और अमेरिका में सांसद स्टीफन नील और सीनेटर विलियम रोथ जूनियर के साथ भी काम कर चुके हैं। वे 2012 और 2024 में एलडीपी नेतृत्व चुनाव में हिस्सा ले चुके हैं।
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