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Nepal Protest: केपी ओली के इस्तीफे से चीन को होगा सबसे ज्यादा नुकसान!

केपी ओली को नेपाल के बड़े नेताओं में सबसे ज्यादा चीन-समर्थक माना जाता रहा है। जुलाई 2024 में सत्ता में लौटने के बाद उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा चीन से शुरू की थी। इसके कुछ ही महीनों बाद, दिसंबर में, उन्होंने बेल्ट एंड रोड (BRO) सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे बीजिंग ने नेपाल को ‘लैंड-लिंक्ड’ बनाने की दिशा में बड़ा कदम बताया

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 09, 2025 पर 8:44 PM
Nepal Protest: केपी ओली के इस्तीफे से चीन को होगा सबसे ज्यादा नुकसान!
Nepal Protest: केपी ओली के इस्तीफे से चीन को होगा सबसे ज्यादा नुकसान!

नेपाल में लगातार बढ़ते प्रदर्शनों के बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया। आंदोलन इतना उग्र हो गया कि प्रदर्शनकारियों ने कई नेताओं के घरों पर हमला किया, उन्हें सड़कों पर दौड़ाया और संसद भवन में तोड़फोड़ तक कर डाली। सिर्फ 48 घंटे में ही सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों के दबाव में ओली ने इस्तीफा दिया, जिससे नेपाल की सत्ताधारी कुर्सी खाली हो गई। यह स्थिति चीन के हालिया प्रभाव और निवेश को भी बड़ा झटका दे सकती है।

ओली को नेपाल के बड़े नेताओं में सबसे ज्यादा चीन-समर्थक माना जाता रहा है। जुलाई 2024 में सत्ता में लौटने के बाद उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा चीन से शुरू की थी। इसके कुछ ही महीनों बाद, दिसंबर में, उन्होंने बेल्ट एंड रोड (BRO) सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे बीजिंग ने नेपाल को ‘लैंड-लिंक्ड’ बनाने की दिशा में बड़ा कदम बताया।

भारत और चीन दक्षिण एशिया में रणनीतिक और भू-राजनीतिक खेल में लगे हुए हैं। इस क्षेत्र के देशों को अक्सर इस आधार पर देखा जाता है कि उनका झुकाव नई दिल्ली की ओर है या बीजिंग की, जो इस बात पर निर्भर करता है कि वहां किसकी सरकार सत्ता में है।

नेपाल लंबे समय से चीन के करीब रहा है। ओली और उनके पूर्ववर्ती पुष्प कमल दाहाल (प्रचंड) दोनों को चीन समर्थक माना जाता रहा है।

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