Get App

काली या पीली सरसों? एक बनाती है स्वाद, जानिए कौन सी सरसों है आपके लिए बेहतर!

Difference between yellow and black mustard seeds: भारत की हर रसोई में सरसों का तड़का जैसे खुशबू और स्वाद की पहचान बन चुका है। गांव हो या शहर, ये छोटा-सा दाना हर पकवान में जादू भर देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, सरसों दो प्रकार की होती है पीली और काली और दोनों का स्वाद, असर और पहचान बिल्कुल अलग है

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 25, 2025 पर 4:02 PM
काली या पीली सरसों? एक बनाती है स्वाद, जानिए कौन सी सरसों है आपके लिए बेहतर!
Difference between yellow and black mustard seeds: खेती के लिहाज से भी दोनों का स्वभाव अलग है। पीली सरसों को ठंडा मौसम ज्यादा पसंद है

भारत के हर कोने में सरसों का नाम आते ही मन में देसी खाने की याद ताजी हो जाती है। चाहे गांव की मिट्टी में पका सरसों का साग हो या शहर की रसोई में तड़के की आवाज सरसों हर जगह अपनी मौजूदगी दर्ज कराती है। ये छोटा-सा बीज सिर्फ मसाला नहीं, बल्कि भारतीय खानपान, परंपरा और देसी औषधियों का मेल है। सरसों का तेल हो या इसके दाने दोनों ही रसोई के स्वाद और सेहत के साथी माने जाते हैं। दिलचस्प बात ये है कि सरसों एक नहीं, बल्कि दो रूपों में मिलती है पीली और काली। दोनों ही हमारे खाने में अलग-अलग रंग और स्वाद जोड़ती हैं।

एक तरफ जहां पीली सरसों हल्के और मृदु स्वाद की प्रतीक है, वहीं काली सरसों अपने तीखेपन और झनझनाहट से हर पकवान को जिंदादिल बना देती है। सच कहा जाए तो सरसों भारतीय रसोई की “देसी आत्मा” है, जो हर थाली में अपनी पहचान छोड़ जाती है।

पीली सरसों

उत्तर भारत की रसोई में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती है पीली सरसों। इसके छोटे-छोटे दाने हल्के पीले रंग के होते हैं और इसका स्वाद थोड़ा मृदु यानी कम तीखा होता है। यही वजह है कि इसे चटनी, अचार और सॉस में खूब प्रयोग किया जाता है। इससे निकला तेल भी हल्का होता है, जो खाने में स्वाद तो बढ़ाता ही है, साथ ही सेहत के लिए भी फायदेमंद है। पीली सरसों में विटामिन A, C, E, मैग्नीशियम और फाइबर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ये तत्व पाचन सुधारने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करते हैं।

सब समाचार

+ और भी पढ़ें