छत्तीसगढ़ चुनाव: PM मोदी का 3 महीने में तीसरा दौरा, BJP बिलासपुर को बना रही अपना मजबूत गढ़

Chhattisgarh Elecetion 2023: छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (BJP) चुनाव से पहले अपनी पूरी ताकत झोंकती नजर आ रही है। इस पूरे अभियान की अगुआई खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) करते नजर आ रहें है। मोदी ने आज शनिवार 30 सितंबर को बिलासपुर (Bilaspur) में एक बड़ी रैली को संबोधित किया

अपडेटेड Sep 30, 2023 पर 5:22 PM
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PM मोदी तीन बाद जगदलपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करने वापस छत्तीसगढ़ आएंगे

Chhattisgarh Elecetion 2023: छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (BJP) चुनाव से पहले अपनी पूरी ताकत झोंकती नजर आ रही है। इस पूरे अभियान की अगुआई खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) करते नजर आ रहें है। मोदी ने आज शनिवार 30 सितंबर को बिलासपुर (Bilaspur) में एक बड़ी रैली को संबोधित किया। यह पिछले तीन महीनों में उनका राज्य का तीसरा दौरा था। इसके अलावा वे तीन बाद वे फिर जगदलपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करने वापस छत्तीसगढ़ आएंगे।

बिलासपुर की रैली बीजेपी की ओर राज्य में निकाली गई 2 परिवर्तन यात्राओं के समापन पर किया गया है। पहली यात्रा दक्षिण में दंतेवाड़ा से और दूसरी उत्तर में जशपुर से शुरू हुआ था। मोदी ने इस परिवर्तन महासंकल्प रैली में कांग्रेस पर जमकर हमला बोला।

प्रधानमंत्री ने कहा, "कांग्रेस सरकार के अत्याचारों से त्रस्त अब छ्तीसगढ़ की जनता कह रही है, और नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे। छत्तीसगढ़ भ्रष्टाचार और कुशासन से त्रस्त है। रोजगार के नाम पर घोटाले ही घोटाले हैं।" उन्होंने कहा, "छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद कैबिनेट का पहला फैसला गरीबों के पक्के घर जो बाकी हैं वे तेज गति से बनाने का काम पूरा किया जाएगा। वे(कांग्रेस) मोदी के बहाने पूरे पिछड़े समाज को गाली देने से पीछे नहीं हटते हैं। कांग्रेस दलित, आदिवासी, OBC भी से नफरत करती है।"


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बीजेपी के लिए काफी अहम है बिलासपुर

पूरे छत्तीसगढ़ को 5 प्रशासनिक संभागों में बांटा जाता है- रायपुर, दुर्ग, सरगुजा, बस्तर और बिलासपुर। इसमें से अकेले बिलासपुर में 24 विधानसभा सीटें हैं, जो बाकी 4 संभागों से अधिक हैं। यही कारण है कि मोदी के पिछले 3 में से 2 दौरे बिलासपुर संभाग में ही हुए हैं। आखिरी बार वह इस संभाग में 14 सितंबर को रायगढ़ जिले में आए थे।

दूसरा कारण यह है कि बिलासपुर में ओबीसी, एससी और एसटी की मिश्रित आबादी है, जिन्हें बीजेपी ने इस चुनाव में साधने का लक्ष्य रखा है। छत्तीसगढ़ में अभी तक एससी और एसटी परंपरागत रूप से कांग्रेस को वोट देते रहे हैं। ऐसे में इन दोनों समुदायों के दबदबे वाले जिले में बीजेपी का प्रदर्शन अबतक कमजोर रहा है। इसे आप इससे भी समझ सकते हैं कि 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी बुरी तरह चुनाव हारी थी, तब भी बिलासपुर ने बीजेपी का साथ नहीं छोड़ा था।

2018 के चुनाव में राज्य की 90 सीटों में से बीजेपी को सिर्फ 15 सीटें मिली थीं। वहीं कांग्रेस ने 68 सीटों पर जीत के साथ सरकार बनाया था। हालांकि तब भी बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में आने वाले 8 में 4 विधानसभा सीटों को जीतने में कामयाब रही थी, जबकि 2013 में इसने यहां 5 सीटें जीते थीं। वहीं कांग्रेस और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ को यहां 2-2 सीटें मिलीं थीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी बिलासपुर को जीतने में सफल रही थी।

बिलासपुर में क्यों कमजोर है कांग्रेस?

कांग्रेस की यहां कमजोरी का मुख्य कारण "जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़-जोगी" की उपस्थिति है। यह छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री और कांग्रेस के पूर्व नेता अजीत जोगी की शुरू की हुई पार्टी है। अजित जोगी के निधन के बाद अब उनकी पत्ती रेणू जोगी इस पार्टी को चलाती है और 2018 में वह बिलासपुर की कोटा से विधायक चुनी गई हैं। अजित जोगी और उनके परिवार की बिलासपुर में अच्छी पकड़ है। ऐसे में यह पार्टी जिन सीटों को नहीं जीत पाती, वहां भी अच्छे खासे वोट पाकर कांग्रेस उम्मीदवार को मुश्किल में डाल देती है।

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