Haryana Election Result 2024: हरियाणा चुनाव में मिली हार पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर बुलाई गई एक समीक्षा बैठक में भाग लिया। गुरुवार (10 अक्टूबर) को हुई वरिष्ठ पर्यवेक्षकों की इस बैठक में अजय माकन, अशोक गहलोत, दीपक बाबरिया और केसी वेणुगोपाल जैसे पर्यवेक्षक भी मौजूद थे। बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि हरियाणा में नेताओं का इंटरेस्ट ऊपर रहा। इस इस कारण से पार्टी का हित नीचे चला गया। सूत्रों का कहना है कि गांधी काफी हद तक चुप रहे, लेकिन जब उनकी बोलने की बारी आई तो उन्होंने मजबूती से अपनी दो प्रमुख बातें कहीं।
न्यूज 18 को सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और चुनाव आयोग (ECI) के पास जवाब देने के लिए बहुत कुछ है। वह मतगणना के मामले में क्या गलत हुआ, इस पर विस्तृत रिपोर्ट चाहते थे। लेकिन दूसरी बात ने कमरे में जोरदार सन्नाटा छा दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा चुनाव था जिसे जीता जा सकता था, लेकिन स्थानीय नेताओं को पार्टी की तुलना में अपनी प्रगति में अधिक रुचि थी। गांधी तब नाराज हो गए जब ज्यादातर लोग EVM को दोष देते रहे।
सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कहा कि उन्हें विस्तृत जानकारी चाहिए, लेकिन उनके अनुसार मुद्दा यह था कि नेता आपस में ही लड़े और पार्टी के बारे में नहीं सोचा। न्यूज 18 के मुताबिक, यह कहते हुए राहुल गांधी बैठक से उठकर बाहर चले गए। सूत्रों का कहना है कि उनका हमला सिर्फ भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर नहीं, बल्कि सभी पर था। सूत्रों ने बताया कि हरियाणा में हार के कारणों का आकलन करने के लिए एक समिति गठित की जा रही है।
अंदरूनी कलह के कारण हरियाणा में कांग्रेस को मिली हार?
बता दें कि यह पहली बार नहीं है कि अंदरूनी कलह के कारण कांग्रेस को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान इसके हालिया उदाहरण हैं। ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी को इसकी जानकारी नहीं थी। यही वजह थी कि जमीनी रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाया कि कुमारी शैलजा और हुड्डा साथ मिलकर काम करें। लेकिन उन्हें साथ लाने का उनका प्रयास महज दिखावा था क्योंकि दोनों कभी साथ काम नहीं कर सकते।
राहुल गांधी की अगली समस्या महाराष्ट्र है। यहां भी कांग्रेस को भारी अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी अब कोई जोखिम नहीं उठा सकती। समस्या यह है कि हरियाणा के विपरीत महाराष्ट्र में कांग्रेस शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना दोनों के साथ गठबंधन में है। उन्होंने कांग्रेस को पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि अंदरूनी कलह उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है।
सूत्रों का कहना है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसा दोबारा न हो, शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व जल्द ही हरियाणा कांग्रेस के कुछ नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है। इस बीच, मीडिया रिपोर्टों और अटकलों के बीच, कांग्रेस ने एक बयान जारी कर कहा, "पार्टी ने हमारे उम्मीदवारों द्वारा दर्ज की गई शिकायतों और विसंगतियों की जांच के लिए एक तकनीकी टीम नियुक्त करने का फैसला किया है। कांग्रेस पार्टी तथ्य खोज टीम की रिपोर्ट के आधार पर एक विस्तृत प्रतिक्रिया जारी करेगी।"
इसी साल जून में लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद हरियाणा में 10 साल से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच हुई पहली बड़ी सीधी लड़ाई में सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी ने 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 48 सीट पर जीत दर्ज की। जबकि 2019 में उसे 41 सीट मिली थी। वहीं, कांग्रेस को 37 सीट पर संतोष करना पड़ा।