केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि 10 साल में जो काम हुआ है, वह तो सिर्फ एक ट्रेलर है, असली फिल्म बाकी है। उन्होंने ये बातें सड़कों को लेकर हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कही। देश के रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवेज मिनिस्टर नितिन गडकरी ने भीम नगर के राम लीला ग्राउंड में एक रैली में 2,000-2,500 लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि इस साल 2024 के आखिरी तक हरियाणा के नेशनल हाईवेज का बुनियादी ढांचा अमेरिका से भी बेहतर हो जाएगा। नितिन गडकरी इससे पहले भी भारत में सड़कों के बुनियादी ढांचे को अमेरिका के समान या उससे बेहतर बनाने का दावा कर चुके हैं। अब सवाल उठता है कि क्या इस दावे को हकीकत में बदला जा सकता है? इसे लेकर कुछ आंकड़े हैं जिसमें अमेरिका और भारत में हाईवेज सिस्टम के फर्क को समझ सकते हैं।
India vs USA Road Network: सड़कों की लंबाई में कितना फर्क?
भारत में सड़कों का नेटवर्क करीब 66.71 लाख किमी है जिसमें से 1.46 लाख किमी नेशनल हाईवेज हैं यानी कि सड़कों की कुल लंबाई में से करीब 2 फीसदी और प्रति 1 हजार लोगों पर 5.13 किमी सड़क। अब अमेरिका की बात करें तो वहां सड़कों का जाल करीब 68.03 लाख किमी लंबा है। इसमें से 2.64 लाख किमी की सड़के नेशनल हाईवे सिस्टम के तहत हैं जिसमें से 78 हजार किमी सड़क इंटरस्टेट हाईवे सिस्टम की हैं। अमेरिका में प्रति एक हजार लोगों पर 20.1 किमी सड़के हैं यानी कि भारत की तुलना में चार गुना अधिक। ये आंकड़े भारतीय सड़कों को लेकर मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज ऑफ इंडिया और नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के साथ-साथ अमेरिकी सड़कों को लेकर यूएस डिपार्टमेंट ऑफ ट्रांसपोर्टेशन (फेडरल हाईवे एडमिनिस्ट्रेशन- FHWA) से लिए गए हैं।
भारत में नेशनल हाईवेज पर अधिक बोझ
भारत में नेशनल हाईवेज 1.43 लाख किमी लंबी हैं और कुल रोड नेटवर्क में इनकी हिस्सेदारी महज 2.3 फीसदी ही है लेकिन पूरे ट्रैफिक का करीब 40 फीसदी हिस्सा इन्हीं पर है। अमेरिका की बात करें तो वहां इंटरस्टेट हाईवेज कुल रोड नेटवर्क का करीब 1.2 फीसदी है और उन पर करीब 25 फीसदी ट्रैफिक है।