MP Election: एमपी में शिवराज सिंह चौहान नहीं, PM मोदी की लोकप्रियता से है कांग्रेस की असल लड़ाई

MP Elections 2023: इस चुनाव में कांग्रेस जहां सत्ता-विरोधी लहर पर सवार होकर जीत की उम्मीद कर रही है। वहीं बीजेपी पीएम मोदी की लोकप्रियता और कल्याणकारी योजनाओं के भरोसे अपनी सरकार के वापसी की उम्मीद कर रही है

अपडेटेड Nov 08, 2023 पर 9:29 PM
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MP Elections 2023: शिवराज सिंह चौहान करीब 18 सालों से मुख्यमंत्री हैं

MP Elections 2023: "बीजेपी को नहीं जाना चाहिए, शिवराज को जाना चाहिए।" यह कहना था शिव प्रताप यादव का, जो मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में आने वाले छतरपुर जिले में एक किराने की दुकान चलाते हैं। वह चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कार्यप्रणाली से उबते नजर आए। हालांकि पीएम मोदी पर उनका भरोसा बना हुआ है। शिव प्रताप ने कहा कि वह पीएम मोदी के नाम पर बीजेपी को समर्थन देना जारी रखेंगे और उन्हें उम्मीद है पार्टी चुनाव बाद किसी नए शख्स को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाएगी।

वहां से करीब 80 किमी दूर पन्ना जिले के एक ठेकेदार मनीष यादव, शिवराज सरकार से नाराज नजर आए और उसे बदलने की बात कही। उन्होंने कहा, "हमारे शहर में कोई काम नहीं हुआ है। अगर उन्होंने पिछले 20 साल में कोई काम नहीं किया तो उन्हें दोबारा मौका क्यों दिया जाना चाहिए? कम से कम कांग्रेस के 15 महीने के कार्यकाल में कुछ वादे तो दिखे।"

ये दोनों बयान बताते हैं कि मध्य प्रदेश में इस समय चुनावी माहौल कैसा है, खासतौर से बुंदेलखंड इलाके में। राज्य में अगले हफ्ते विधानसभा चुनाव के मतदान होने हैं। इस चुनाव में कांग्रेस जहां सत्ता-विरोधी लहर पर सवार होकर जीत की उम्मीद कर रही है। वहीं बीजेपी पीएम मोदी की लोकप्रियता और कल्याणकारी योजनाओं के भरोसे अपनी सरकार के वापसी की उम्मीद कर रही है।


मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान होना है। वहीं छत्तीसगढ़, मिजोरम, तेलंगाना और राजस्थान के साथ 3 दिसंबर को इसकी मतगणना होगी। लोकसभा चुनाव से पहले यह देश में विधानसभा चुनाव का आखिरी दौर है।

सत्ता विरोधी लहर

करीब 15 महीने के अंतराल को छोड़ दें तो, मध्य प्रदेश में भाजपा 2003 से सत्ता में है। इसमें शिवराज सिंह चौहान करीब 18 सालों से मुख्यमंत्री हैं। दिसंबर 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी चुनाव हार गई थी और कमलनाथ की अगुआई में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई। हालांकि 15 महीने के अंदर ही ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों की बगावत के चलते कमलनाथ सरकार गिर गई और शिवराज सिंह चौहान की अगुआई में वापस बीजेपी की सरकार बन गई।

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चौहान इस बार लोकलुभावन वादों, महिला मतदाताओं तक उनकी पैठ और कल्याणकारी योजनाओं के दम पर पांचवें कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। वह सीहोर जिले के बुधनी विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार हैं, जहां 1985 से लगातार बीजेपी जीत रही है।

पन्ना और छतरपुर जिलों के कई मतदाताओं ने कहा कि शिवराज सरकार गरीब महिलाओं के लिए लाडली बहना जैसी जो वित्तीय सहायता वाली स्कीमें चला रही है, उसका उसे फायदा मिल रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सेवाओं का सही से वितरण नहीं होना, विकास की कमी, किसानों से जुड़े मुद्दे और महंगाई सहित ऐसे कई मुद्दे हैं, जिन पर लोगों में शिवराज सरकार को लेकर अंसतोष भी है।

राजनगर विधानसभा के नयागांव के किसान जगत प्रताप सिंह ने कहा कि राज्य में 'गरीब और गरीब हो गए हैं' और ग्रामीण इलाकों के लोगों की मदद के लिए और अधिक करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'एक राज्य सरकार को उसके मुख्यमंत्री के कामों के लिए जान जाता हैं। इस बार बदलाव होना तय है। अब यह मुख्यमंत्री का होगा या पार्टी का, यह तो समय ही बताएगा।"

मोदी की लोकप्रियता

हालांकि जमीनी स्तर पर पीएम मोदी की लोकप्रियता अभी भी मजबूत बनी हुई है। बीजेपी इस बात को बखूबी जानती है। यही कारण है कि इस बार मोदी के चेहरे को पार्टी ने प्रमुखता से इस्तेमाल किया है। 'MP के मन में मोदी' जैसे नारे भी यही बताते है।

दोनों जिलों के कई मतदाताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि मोदी की लोकप्रियता मजबूत बनी हुई है। जो वर्ग राज्य सरकार से नाखुश है, वह भी मोदी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए BJP को वोट दे सकता है।

महाराजपुर के तिंडानी गांव की 35 वर्षीय गृहिणी वंदना परिहार ने कहा कि उनके लिए "मोदी और केवल मोदी" है। वह लाडली बहना योजना की लाभार्थी हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि किसान सम्मान निधि जैसी केंद्र सरकार की योजनाओं ने उनके परिवार को अधिक मदद की है। उन्होंने कहा, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह विधानसभा चुनाव है या केंद्र का - मेरा वोट हमेशा मोदी के लिए है।"

कांग्रेस ने लगाई सेंध

मध्य प्रदेश में कांग्रेस का प्रचार अभियान कल्याणकारी स्कीमों पर आधारित है। पार्टी ने किसान लोन की माफी, पुरानी पेंशन की बहानी और युवाओं के लिए बेरोजगारी भत्ते जैसे वादे किए हैं। कमलनाथ की अगुआई में कांग्रेस ने काफी आक्रामक तरीके से इस बार प्रचार किया है। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी भी मध्यप्रदेश को काफी समय दे रही हैं। दोनों जिलों के मतदाताओं ने कहा कि कांग्रेस सरकार गिरने के बाद से, पार्टी ने मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत की है और इसे सत्ता विरोधी लहर का भी फायदा मिला है।

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