भारतीय जनता पार्टी के लिए सुरक्षित लगने वाली बेलापुर विधानसभा सीट संदीप नाइक की बगावत के बाद से अब चुनौतीपूर्ण हो गई है। इस मुश्किल लड़ाई को भांपते हुए बीजेपी के रणनीतिकारों ने इस निर्वाचन क्षेत्र में गोवा के ज्यादा से ज्यादा विधायकों को तैनात किया है। पार्टी ने अपनी रणनीति बदलते हुए, यहां उम्मीदवार के बजाय पार्टी के चिन्ह 'कमल' के नाम पर वोट मांगना शुरू कर दिया है। 2014 के बाद से यह सीट बीजेपी के लिए मुफीद मानी जा रही है। हालांकि, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी का समर्थन नहीं मिलने, वर्तमान विधायक मंदा म्हात्रे को लेकर बने 'नेरेटिव' और कमजोर प्रचार व्यवस्था के चलते आखिरकार पार्टी को अपनी रणनीति अब 'कमल' केंद्रित करने पर मजबूर होना पड़ा।
पिछले कुछ दिनों से इस बात पर काफी ध्यान दिया जा रहा है कि बीजेपी के प्रचार अभियान में सिर्फ और सिर्फ चुनाव चिन्ह पर ही कैसे फोकस रहेगा। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी के नरेश म्हस्के हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में ठाणे लोकसभा सीट से महायुति के उम्मीदवार थे। म्हस्के को बेलापुर सीट से 12,000 वोटों का अंतर मिला।
2014 और 2019 के चुनाव में इस सीट पर बीजेपी-शिवसेना के उम्मीदवार को ज्यादा वोट मिले थे। पांच साल पहले इसी सीट से बीजेपी की मंदा म्हात्रे 43,000 से ज्यादा वोटों से चुनी गई थीं।
वहीं, लोकसभा चुनाव में वोटों का अंतर कम होने और संदीप नाइक की उम्मीदवारी को लेकर यहां शुरू हुई खींचतान को देखते हुए बीजेपी के रणनीतिकारों को इस सीट पर और मेहनत करने की जरूरत महसूस हो रही है।
गोवा से लाए गए विधायक और ब्रांड प्रमोशन
बेलापुर को शुरू में BJP की सुरक्षित विधानसभा सीट की लिस्ट में टॉप पर माना जाता था। 2014 के बाद देश में बदले राजनीतिक समीकरण में बेलापुर ने हमेशा बीजेपी का साथ दिया है। इसलिए बीजेपी दावा कर रही थी कि इस विधानसभा क्षेत्र में उसे कोई खतरा नहीं है।
हालांकि, मौजूदा विधायक मंदा म्हात्रे के उम्मीदवार बनते ही बीजेपी नेता गणेश नाइक के पूर्व विधायक बेटे संदीप नाइक ने बगावत कर दी। उन्होंने शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस से उम्मीदवारी ले ली है और बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी।
नाइक के समर्थक यह प्रचार करते नजर आ रहे हैं कि विधायक के तौर पर 10 साल में मंदा म्हात्रे का कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ संवाद बहुत अच्छा नहीं रहा। इसके अलावा कई लोगों के साथ हुए अपमानजनक व्यवहार का मुद्दा भी सिलसिलेवार तरीके से कैंपेन में उठाया जा रहा है।
पार्टी के वरिष्ठ सूत्रों ने कहा कि गोवा के भाजपा पदाधिकारी पिछले कुछ दिनों से ठाणे लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले इस विधानसभा क्षेत्र में प्रचार कर रहे हैं और उन्होंने बेलापुर पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया है।
गोवा के कुछ विधायकों को कुमक बेलापुर में तैनात किया गया है और इस निर्वाचन क्षेत्र में बदलती 'तस्वीर' को देखते हुए, यह समझा जाता है कि प्रचार एजेंसियों को उम्मीदवार के बजाय चुनाव चिन्ह पर फोकस करने के साफ निर्देश दिए गए हैं।