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Sheetla Ashtami 2025: शीतला अष्टमी के व्रत में मां को लगता है बासी खाने का भोग, जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

Sheetla Ashtami 2025: शीतला अष्टमी का व्रत होली के बाद मनाया जाता है। कुछ लोग इसे सप्तमी के दिन भी मनाते हैं। दोनों ही दिन माता शीतला को यह पर्व समर्पित है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक, यह व्रत सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है। यह व्रत राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में ज्यादा लोकप्रिय है

MoneyControl Newsअपडेटेड Mar 17, 2025 पर 11:55 AM
Sheetla Ashtami 2025: शीतला अष्टमी के व्रत में मां को लगता है बासी खाने का भोग, जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
Sheetla Ashtami 2025: शीतला अष्टमी का व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मार्च 2025 को सुबह 4.23 बजे से शुरू होगा।

हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का काफी महत्व है। शीतला अष्टमी का व्रत हर साल चैत्र महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर पड़ता है। इस दिन माता शीतला का व्रत और विशेष पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से व्रत और पूजन करने वालों के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इस व्रत को करने वाले लोग रोग मुक्त हो जाते हैं। इसे स्थानीय भाषा में बासौड़ा, बूढ़ा बसौड़ा या बसियौरा नामों से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल शीतला अष्टमी का व्रत शनिवार, 22 मार्च 2025 के दिन रखा जाएगा। यह तिथि पूरी तरह से मां शीतला की पूजा के लिए समर्पित है।

शीतला अष्टमी के दिन व्रत और पूजन करने से जीवन खुशहाल रहता है। संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन माता की विधि-विधान से पूजा करके उन्हें बासी भोग लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यही नहीं इस व्रत का पारण माता को लगाए बासी भोग से किया जाता है। प्रसाद के रूप में बासी भोग बांटा जाता है।

कब है शीतला अष्टमी?

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मार्च 2025 को सुबह 4.23 बजे शुरू होगी। यह अगले दिन 23 मार्च 2025 को सुबह 5.23 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, शीतला अष्टमी का व्रत 22 मार्च को रखा जाएगा। वहीं इस दिन शीतला अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6.16 बजे से लेकर शाम 6.26 बजे तक रहने वाला है। पूजा की अवधि 12 घंटे 11 मिनट तक है। शीतला माता की पूजा अर्चना करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं जल्द ही पूरी होती हैं। इसके अलावा चेचक आदि से भी माता रानी छुटकारा दिलाती हैं।

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