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Volkswagen का $1.4 अरब का टैक्स बिल किया रद्द तो बेहद नुकसानदायक होंगे नतीजे, जानकारी छिपाने को मिलेगा बढ़ावा: केंद्र

Volkswagen भारत के कार बाजार में एक छोटी सी कंपनी है। अगर यह दोषी पाई जाती है तो उसे जुर्माना और डिलेड इंट्रेस्ट समेत 2.8 अरब डॉलर का टैक्स बिल भुगतना पड़ सकता है। इंपोर्ट ड्यूटी से जुड़े पिछले टैक्सेज को लेकर भारत की अब तक की सबसे अधिक मांग Volkswagen शिपमेंट के 12 वर्षों की जांच के बाद आई है

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Mar 23, 2025 पर 3:33 PM
Volkswagen का $1.4 अरब का टैक्स बिल किया रद्द तो बेहद नुकसानदायक होंगे नतीजे, जानकारी छिपाने को मिलेगा बढ़ावा: केंद्र
Volkswagen ने इस मामले को अपने भारत के कारोबार के लिए जिंदगी और मौत का मामला बताया है।

ऑटोमोबाइल कंपनी Volkswagen की 1.4 अरब डॉलर के टैक्स बिल को रद्द करने की मांग पर सहमत होने से नतीजे बेहद नुकसानदायक होंगे। साथ ही इससे कंपनियों को जानकारी छिपाने और जांच में देरी करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। यह बात केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को कही है। रॉयटर्स के मुताबिक, अदालत के डॉक्युमेंट्स से यह जानकारी सामने आई है। इंपोर्ट ड्यूटी से जुड़े पिछले टैक्सेज को लेकर भारत की अब तक की सबसे अधिक मांग Volkswagen शिपमेंट के 12 वर्षों की जांच के बाद आई है। इसने लंबी जांच को लेकर विदेशी निवेशकों के डर को फिर से जगा दिया है।

ऑटोमेकर ने इस मामले को अपने भारत के कारोबार के लिए जिंदगी और मौत का मामला बताया है। कंपनी बॉम्बे हाई कोर्ट में टैक्स अथॉरिटी के खिलाफ केस लड़ रही है। Volkswagen की यूनिट, स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया पर आरोप है कि उसने हाई टैरिफ से बचने के लिए कुछ ऑडी, फॉक्सवैगन और स्कोडा कारों के कंपोनेंट इंपोर्ट को गलत तरीके से क्लासिफाई किया। टैक्स अथॉरिटी का कहना है कि कंपनी ने कई वर्षों तक भारत में रीअसेंबलिंग के लिए आइटम्स को "कंप्लीटली नॉक्ड डाउन" (CKD) यूनिट्स के रूप में घोषित करने के बजाय, अलग-अलग शिपमेंट में ऑटो पार्ट्स इंपोर्ट किए ताकि टैक्स में कटौती हो सके। CKD यूनिट्स पर 30%-35% की दर से टैक्स लगाया जाता है, जबकि ऑटो पार्ट्स के लिए लगभग 5%-15% टैक्स है।

Volkswagen किस तर्क पर लड़ रही केस

टैक्स मांग को रद्द करने के लिए कंपनी का मुख्य तर्क शिपमेंट के रिव्यू में देरी करने में टैक्स अधिकारियों की निष्क्रियता और ढिलाई है। टैक्स अथॉरिटी ने 78-पेज के खंडन में हाई कोर्ट को बताया कि Volkswagen ने अपने इंपोर्ट के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी और डेटा को रोककर देरी की। Volkswagen ने कहा है कि अगर भारत ने रिव्यू पहले ही पूरा कर लिया होता तो वह नतीजों को चुनौती दे सकती थी या अपनी इंपोर्ट स्ट्रैटेजी को ​रीइवैल्यूएट कर सकती थी। सितंबर 2024 में भेजा गया टैक्स नोटिस विदेशी निवेशकों के भरोसे की नींव को खतरे में डालता है।

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