Get App

Mad Over Donuts GST Case: 24 मार्च को है सुनवाई, ₹100 करोड़ के विवाद पर आने वाला फैसला बन सकता है मिसाल

DGGI ने 2017-18 से 2023-24 तक कई वित्तीय वर्षों को कवर करते हुए MOD को एक कंसोलिडेटेड कारण बताओ नोटिस जारी किया था। नोटिस में लगभग 100 करोड़ रुपये के टैक्स की मांग की गई थी। यह मांग GST फ्रेमवर्क के तहत MOD क डोनट्स की सप्लाई के क्लासिफिकेशन पर बेस्ड थी

अपडेटेड Mar 15, 2025 पर 6:57 PM
Story continues below Advertisement
इस मामले में आने वाले फैसले का फूड और बेवरेज इंडस्ट्री पर दूरगामी असर पड़ सकता है।

बॉम्बे हाई कोर्ट 24 मार्च को मैड ओवर डोनट्स (MOD) से जुड़े 100 करोड़ रुपये के टैक्स विवाद पर सुनवाई करने वाला है। यह मामला इस बात के लिए मिसाल कायम कर सकता है कि रेस्टोरेंट और बेकरी सर्विसे​ज को GST के तहत कैसे क्लासिफाई किया जाए। विवाद इस बात पर है कि डोनट्स की सप्लाई को सर्विसेज की कंपोजिट सप्लाई माना जाए या एक अलग टैक्सेबल प्रोडक्ट के तौर पर काउंट किया जाए। इस मामले में आने वाले फैसले का फूड और बेवरेज इंडस्ट्री पर दूरगामी असर पड़ सकता है।

डायरेक्टरेट जनरल ऑफ GST इंटेलीजेंस (DGGI) ने 2017-18 से 2023-24 तक कई वित्तीय वर्षों को कवर करते हुए MOD को एक कंसोलिडेटेड कारण बताओ नोटिस जारी किया था। नोटिस में लगभग 100 करोड़ रुपये के टैक्स की मांग की गई थी। यह मांग GST फ्रेमवर्क के तहत MOD क डोनट्स की सप्लाई के क्लासिफिकेशन पर बेस्ड थी। कंपनी ने इसे सर्विसेज की कंपोजिट सप्लाई के रूप में क्लासिफाई किया, वहीं टैक्स अधिकारियों ने इसे माल की सप्लाई माना। इससे लागू GST दर पर विवाद हो गया।

क्या कहता है नियम


पिटीशनर मैड ओवर डोनट्स (हिमेश फूड्स) को रिप्रेजेंट करते हुए कॉन्स्टीट्यूशनल और टैक्स एक्सपर्ट अभिषेक ए रस्तोगी ने तर्क दिया कि केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) अधिनियम के तहत, खाद्य या अन्य खाद्य वस्तुओं की सप्लाई, सर्विसेज की कंपोजिट सप्लाई के रूप में पात्र है। उन्होंने सीजीएसटी अधिनियम के शेड्यूल II की एंट्री नंबर 6(ए) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि वर्क कॉन्ट्रैक्ट जैसी कंपोजिट सप्लाइज को सर्विसेज की सप्लाई माना जाएगा। इसका मतलब है कि रेस्टोरेंट में सप्लाई किए जाने वाले खाने, जिसमें टेकअवे आइटम भी शामिल हैं, पर माल के बजाय सर्विस के रूप में टैक्स लगाया जाना चाहिए।

Haldiram Snacks Food में टेमासेक खरीदेगी 10% हिस्सेदारी, भारतीय पैक्ड फूड इंडस्ट्री का सबसे बड़ा सौदा

रस्तोगी ने मनीकंट्रोल को बताया कि सरकार की ओर से जारी सर्कुलर इस बात को सपोर्ट करता है कि टेकअवे सर्विसेज को सर्विसेज के रूप में क्लासिफाई किया जाना चाहिए और उन पर 5 प्रतिशत टैक्स लगाया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि डोनट्स और इसी तरह के बेकरी प्रोडक्ट्स को सर्विसेज के बजाय सामान मानना ​​फूड और बेवरेज इंडस्ट्री के लिए टैक्स कंप्लायंस में अस्पष्टता पैदा करता है। अदालत ने रेस्पोंडेंट्स को 17 मार्च तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 24 मार्च को निर्धारित है।

Ritika Singh

Ritika Singh

First Published: Mar 15, 2025 6:51 PM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।