Tata Group and Bisleri deal : टाटा ग्रुप की बिस्लेरी इंटरनेशनल प्राइवेट में मेजॉरिटी स्टेक खरीदने के लिए चल रही बातचीत अटक गई है। इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सूत्रों के मुताबिक, यह डील वैल्युएशन को लेकर अटकी है। Bisleri International Pvt भारत की सबसे बड़ी बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनियों में से एक है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है। भारतीय समूह की बिस्लेरी में कंट्रोल हासिल करने के लिए चल रही बातचीत खासी अग्रिम स्थिति में पहुंच गई थी और दोनों ही पक्ष ट्रांजेक्शन के स्ट्रक्चर को अंतिम रूप देने पर काम कर रहे थे।
वैल्युएशन पर राजी नहीं हुईं कंपनियां
सूत्रों ने कहा कि बिस्लेरी के ओनर्स इस डील से 1 अरब डॉलर मिलने की उम्मीद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस बातचीत को उस समय झटका लगा जब कंपनियां वैल्युएशन पर राजी नहीं हुईं।
उन्होंने कहा कि टाटा और बिस्लेरी की बातचीत अभी भी शुरू हो सकती है और दूसरे संभावित खरीदार भी सामने आ सकते हैं। टाटा और बिस्लेरी के प्रतिनिधियों ने इस मसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
बोतलबंद मिनरल वाटर मार्केट में है 60 फीसदी हिस्सेदारी
बिस्लेरी की वेबसाइट के मुताबिक, श्री जयंतीलाल चौहान ने 1949 में सॉफ्ट ड्रिंक्स मेकर पार्ले ग्रुप की स्थापना की थी, जिसने 1969 में एक इटली के आंत्रप्रेन्योर से बिस्लेरी को खरीद लिया था। इसमें कहा गया है कि भारत के बोतलबंद मिनरल वाटर मार्केट में उसकी 60 फीसदी हिस्सेदारी है। कंपनी हैंड सैनिटाइजर भी बनाती है। बिस्लेरी के चेयरमैन (Bisleri Chairman) रमेश चौहान (Ramesh Chauhan) ने नवंबर में एक स्थानीय टेलीविजन को दिए इंटरव्यू में कहा था कि बिस्लेरी टाटा को हिस्सेदारी बेचने के लिए बातचीत कर रही है।
टाटा ग्रुप को होता यह फायदा
टाटा ग्रुप (Tata Group) के बिस्लेरी को खरीदने से उसके भारत में बोतलबंद पानी के ब्रांड्स के पोर्टफोलियो को खासी मजबूती मिल सकती थी। समूह की लिस्टेड यूनिट टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लि. के पास पानी से जुड़े हिमालयन नेचुरल मिनरल वाटर और टाटा वाटर प्लस ब्रांड्स हैं।