बजट 2023: कॉमर्स मिनिस्ट्री ने निर्मला सीतारमण को गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने की सलाह दी

बजट 2023: सरकार ने इस साल जुलाई में गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी थी। करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) को बढ़ने से रोकने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया था। गोल्ड का इंपोर्ट का सीधा असर करेंट अकाउंट डेफिसिट पर पड़ता है। ज्यादा CAD इकोनॉमी के लिए अच्छा नहीं है

अपडेटेड Dec 30, 2022 पर 3:59 PM
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इस साल अप्रैल-नवंबर के दौरान जेम्स एंड ज्वेलरी का एक्सपोर्ट 2 फीसदी बढ़कर 26.45 अरब डॉलर रहा।

बजट 2023: कॉमर्स मिनिस्ट्री (Commerce Ministry) ने गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी (Gold Import Duty) घटाने की मांग की है। उसका मानना है कि फाइनेंस मिनिस्टर अगले यूनियन बजट में यह फैसला ले सकती हैं। इससे एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के साथ ही जेम्स एंड ज्वेलरी की मैन्युफैक्चरिंग देश में बढ़ेगी। इस साल जुलाई में केंद्र सरकार ने गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी 10.75 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दी है। सरकार ने करेंट अकाउंट डेफिसिट को बढ़ने से रोकने के लिए यह कदम उठाया था। इससे 2.5 फीसदी के साथ एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस (AIDC) गोल्ड पर कुल ड्यूटी बढ़कर 15 फीसदी हो गई है।

बजट में ड्यूटी घटाने का हो सकता है ऐलान

गोल्ड इंडस्ट्री का मानना है कि फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को गोल्ड पर ड्यूटी घटाने का ऐलान यूनियन बजट 2023 (Union Budget 2023) में कर सकती हैं। निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2023 को यूनियन बजट पेश करेंगी। यह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा।


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कॉमर्स मिनिस्ट्री ने फाइनेंस मिनिस्ट्री से की गुजारिश

सूत्रों ने बताया, "जेम्स एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री ने कॉमर्स इंडस्ट्री से ड्यूटी घटाने की मांग की है। इसके बाद कॉमर्स मिनिस्ट्री ने भी फाइनेंस मिनिस्ट्री से इसकी सिफारिश की है। उसने कुछ दूसरे प्रोडक्ट्स पर भी इंपोर्ट ड्यूटी में बदलाव करने की सलाह दी है। इससे देश में मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा।" हर साल जेम्स एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री इंपोर्ट ड्यूटी घटाने की मांग सरकार से करती है।

ड्यूटी घटने से मैन्युफैक्चरिंग को मिलेगा बढ़ावा

जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) के पूर्व चेयरमैन कोलिन शाह ने कहा कि इस सेक्टर को बढ़ावा देने और रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए इंडस्ट्री की उम्मीदें अगले बजट पर लगी हैं। शाह ने कहा कि गोल्ड पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने और ज्लेवलरी के लिए प्रोग्रेसिव रिपेयर पॉलिसी से इस सेक्टर को बहुत ज्यादा फायदा होगा। हमें उम्मीद है कि रफ डायमंड के हमारे स्पेशल नोटिफायड जोंस पर प्रिजम्पटिव टैक्सेशन का भी ऐलान होगा। सरकार को लैब में विकसित प्रोडक्ट्स के लिए इस्तेमाल होने वाले सीड पर ड्यूटी खत्म कर देनी चाहिए।

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दुनिया में रिपेयरिंग का हब बन सकता है भारत

काउंसिल के मुताबिक, इंडिया में दुनिया का रिपेयरिंग हब बनने की क्षमता है। सरकार अगर इसके लिए पॉलिसी पेश करती है तो एक्सपोर्ट 30-40 करोड़ डॉलर तक बढ़ सकता है। इस साल अप्रैल-नवंबर के दौरान जेम्स एंड ज्वेलरी का एक्सपोर्ट 2 फीसदी बढ़कर 26.45 अरब डॉलर रहा। इस फाइनेंशियल ईयर में अप्रैल-नवंबर के दौरान गोल्ड का इंपोर्ट 18.13 फीसदी घटकर 27.21 अरब डॉलर रहा।

इंडिया हर साल 900 टन गोल्ड का आयात करता है

सोने का इंपोर्ट बढ़ने का असर करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) पर पड़ता है। इंडिया दुनिया में गोल्ड का सबसे बड़ा इंपोर्टर है। गोल्ड का आयात मुख्य रूप से ज्वेलरी इंडस्ट्री की मांग पूरी करने के लिए किया जाता है। इंडिया सालाना 800-900 टन गोल्ड का इंपोर्ट करता है।

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