बजट 2023 : भारत का रिटेल मार्केट 2030 तक बढ़कर 1.4 लाख करोड़ डॉलर का होने का अनुमान है, जो 2020 में 80 हजार करोड़ डॉलर का था। इसकी मुख्य वजह तेजी से बढ़ता शहरीकरण और इनकम ग्रोथ है। 2020-21 में महामारी के चलते रिटेल सेक्टर (retail sector expectation) को खासी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। इसलिए, सेक्टर को रिवाइव करने के लिए यूनियन बजट में कई कदम उठाए जाने की जरूरत है। वहीं, रूरल सेक्टर से डिमांड महामारी के बाद से कमजोर बनी हई है। रूरल इकोनॉमी की भारत के जीडीपी में लगभग 50 फीसदी हिस्सेदारी है। अगर, बजट में गांवों के लिए ऐलान होंगे तो उससे भी रिटेल सेक्टर को सपोर्ट मिलेगा।
दीर्घकालिक विकास की रणनीतियों पर देना होगा जोर
माना जा रहा है कि सरकार को बजट में रोजगार के सृजन, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और गांवों की प्रगति जैसी दीर्घकालिक विकास की रणनीतियों पर जोर देना होगा। एक कारोबारी के मुताबिक, भारतीय रिटेल इंडस्ट्री और प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां सरकार के सपोर्ट से एक कुशल और मजबूत सप्लाई चेन इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी इनोवेशन में ज्यादा निवेश के लिए इच्छुक हैं।
जीएसटी में कमी की भी है आस
वहीं, रिटेल सेक्टर बजट में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के लिए जीएसटी में कमी की भी आस लगाए बैठा है। इसके अलावा कंप्लायंस कॉस्ट में कमी से भी इंडस्ट्री को खासी राहत मिल सकती है। रिटेल सेक्टर को नेशनल रिटेल पॉलिसी (National Retail Policy) के लागू होने की भी उम्मीद है, जिससे आधुनिक तकनीक और इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा। इससे आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण भी आसान हो जाएगा।
सस्ते कर्ज से लाखों रिटेलर्स को होग फायदा
उधर, केंद्र सरकार की नियमों के सरलीकरण और इंडस्ट्री को क्रेडिट की उपलब्धता आसान बनाने की योजना है। इसीलिए, बड़ी संख्या में रिटेलर्स की Union Budget 2023 पर नजर बनी हुई है। लो कॉस्ट लोन और कुछ इंडस्ट्री गाइडलाइंस में लचीलेपन के ऐलान से देश के लाखों स्वतंत्र रिटेलरों को फायदा होने का अनुमान है।