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Budget 2023: क्या भारत के ‘अमीर’ किसानों पर टैक्स लगाने का आ गया समय?

Budget 2023 : खास तौर पर बजट से पहले कृषि आय पर टैक्स लगाने का मुद्दा उठता रहता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि अमीर और कॉर्पोरेट्स भी कर से बचने के लिए अपनी इनकम को कृषि आय के रूप में दिखाते रहे हैं। कई नर्सरियों, सीड कंपनियों और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कंपनियों से जुड़े इनकम पर टैक्स छूट के दावे भी सामने आए हैं

Curated By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Jan 26, 2023 पर 1:07 PM
Budget 2023: क्या भारत के ‘अमीर’ किसानों पर टैक्स लगाने का आ गया समय?
असम, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में कृषि आय कर लागू है, हालांकि यह केवल कुछ फसलों और गतिविधियों के लिए है

Budget 2023 : कृषि आय पर टैक्स लगाने का मुद्दा अक्सर उठता रहता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि अमीर और कॉर्पोरेट्स भी कर से बचने के लिए अपनी इनकम को कृषि आय के रूप में दिखाते रहे हैं। साथ ही नर्सरियों, सीड कंपनियों और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कंपनियों के द्वारा ऐसी गतिविधियों से हुई इनकम पर छूट के दावे करने के मामले भी सामने आए हैं। कृषि आय (agricultural income) पर टैक्स लगाने के पीछे तर्क अमीरों पर टैक्स लगाने जैसा ही है कि यह टैक्स प्रगतिशील है और इससे ग्रामीण असमानता को कम करने में मदद मिल सकती है।

उदाहरण के लिए, 45 फीसदी भूमि अभी भी गैर-छोटे किसानों के पास है जो कुल किसान परिवारों का केवल 15 फीसदी हैं। पंजाब में, छोटे और सीमांत किसान रिवर्स टेनेंसी के कारण कुल कृषि भूमि के 10 फीसदी से भी कम पर काम करते हैं। छोटे और सीमांत किसान कुल कृषि परिवारों के एक-तिहाई से थोड़े कम हैं। ऐसे कर से समानता को बढ़ावा मिल सकता है।

लैंडहोल्डिंग का मानक

अक्सर तर्क दिया जाता है कि ज्यादातर किसान छोटे और कमजोर हैं। फिलहाल 2.5 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त है, इसलिए ज्यादातर किसान कर के दायरे में नहीं आते हैं। यह अलग बात है कि भूमि जोत पर आयकर का आधार सही नहीं है, क्योंकि भूमि का आकार आवश्यक रूप से कृषि आय के अनुरूप नहीं होता है। कृषि गतिविधियों के अलग-अलग संदर्भ हैं, जैसे कि सिंचित और शुष्क भूमि और लैंड सीलिंग अधिनियमों के तहत राज्यों में स्वामित्व वाली भूमि की अलग-अलग सीमाएं होती हैं।

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