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बजट 2023 : सरकार के लिए यह टैक्स के नियमों को आसान और अट्रैक्टिव बनाने का बड़ा मौका है

बजट 2023 : टैक्स के नियमों का आसान होना जरूरी है। दूसरी बात यह कि अलग-अलग एसेट्स के लिए टैक्स के नियम एकसमान होने चाहिए। अभी टैक्स सिस्टम में बहुत जटिलताएं हैं। अगर कैपिटल गेंस टैक्स की बात करें तो यह न सिर्फ बहुत जटिल है बल्कि इसके नियम एकसमान नहीं हैं

Translated By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Jan 19, 2023 पर 12:23 PM
बजट 2023 : सरकार के लिए यह टैक्स के नियमों को आसान और अट्रैक्टिव बनाने का बड़ा मौका है
बजट 2023: प्रोग्रेसिव टैक्स रेट्स लोगों और इकोनॉमी के लिए अच्छे हैं। इसमें जैसे-जैसे इनकम बढ़ती है टैक्स बढ़ता जाता है।

जयंत ठाकुर

Budget 2023: पुरानी कहावत है कि टैक्स और मौत से बचना नामुमकिन है। इसका मतलब है कि हम लाख उपाय कर लें हमें टैक्स चुकाना ही पड़ेगा। लेकिन, टैक्स के नियम अगर आसान हों तो हमारा दर्द कम हो जाता है। अभी टैक्स के नियम बहुत जटिल हैं। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 10 का उदाहरण लिया जा सकता है। यह 100 पेज में है। इसके अलावा 50 पेज हैं, जिसमें पिछले सालों में किए गए संशोधन के फुटनोट्स दिए गए हैं। इस तरह की जटिलताएं सिर्फ बिजनेस, कंपनियों और ज्यादा इनकम वाले लोगों तक सीमित नहीं हैं। नौकरीपेशा वाले लोग, रिटायर्ड लोग और छोटे कारोबार करने वाले लोग भी इससे परेशान हैं। इसलिए टैक्स सिस्टम को आसान बनाने के गंभीर प्रयास करने की जरूरत है।

टैक्स के नियमों में दो तरह के बदलाव करने की जरूरत

यूनियन बजट 2023 में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण दो चीजों पर फोकस कर सकती हैं। पहला है टैक्स के आसान नियम और उचित टैक्स रेट्स। दूसरा है लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस के लिए अलग-अलग एसेट क्लास के एक जैसे नियम। प्रोग्रेसिव टैक्स रेट्स लोगों और इकोनॉमी के लिए अच्छे हैं। इसमें जैसे-जैसे इनकम बढ़ती है टैक्स बढ़ता जाता है। इसमें अमीर लोगों को ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता है। कम इनकम वाले लोगों को कम टैक्स चुकाना होता है। इंडिया में टैक्स रेट्स बहुत ज्यादा रहे हैं। कई बदलाव करने के बाद भी एक समय ऐसा था जब सबसे ज्यादा इनकम स्लैब के लिए टैक्स रेट 60 फीसदी था।

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