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Budget 2023: लोकलुभावन या सख्त फैसले वाला होगा निर्मला सीतारमण का बजट? जानिए जवाब

Union Budget 2023: ब्लूमबर्ग के सर्वे में शामिल ज्यादातर इकोनॉमिस्ट्स का मानना था कि यूनियन बजट 2023 में सरकार का फोकस इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने के साथ ही फिस्कल डेफिसिट को कंट्रोल में रखने पर होगा। अगले फाइनेंशियल ईयर में सब्सिडी पर सरकार का खर्च कम रहने की उम्मीद है। इससे सरकार के पास खर्च बढ़ाने की गुंजाइश होगी

अपडेटेड Jan 31, 2023 पर 12:57 PM
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सर्वे में शामिल इकोनॉमिस्ट्स का मानना था कि फिस्कल डेफिसिट की भरपाई के लिए सरकार बाजार से ज्यादा पैसे उधार ले सकती है। अगले फाइनेंशियल ईयर में सरकार का ग्रॉस बॉरोइंग 17.8 लाख करोड़ रुपये रह सकता है।

Budget 2023: सरकार इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने के लिए अगले फाइनेंशियल ईयर में भी खर्च पर अपना फोकस बनाए रखेगी। सरकार कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने के साथ ही सब्सिडी पर खर्च घटाने पर उसका जोर होगा। इसकी वजह यह है कि सरकार फिस्कल डेफिसिट घटाना चाहती है। एक सर्वे से यह जानकारी मिली है। अर्थशास्त्रियों के बीच यह सर्वे कराया गया। न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग ने यूनियन बजट 2023 (Budget 2023) से पहले यह सर्वे कराया है। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को यूनियन बजट पेश करेंगी। यह अगले साल लोकसभा चुनावों से पहले सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा।

पूंजीगत खर्च का टारगेट 44 लाख करोड़ हो सकता है

ब्लूमबर्ग के सर्वे में शामिल होने वाले अर्थशास्त्रियों की आम राय यह थी कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए 44.40 लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव पेस कर सकती हैं। यह पिछले बजट के मुकाबले करीब 12.5 फीसदी ज्यादा होगा। सरकार का फिस्कल डेफिसिट अगले फाइनेंशियल ईयर में कम रहने का अनुमान है। इस फाइनेंशियल ईयर में फिस्कल डेफिसिट 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है। अगले फाइनेंशियल ईयर में यह 5.9 फीसदी रह सकता है।


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बाजार से ज्यादा कर्ज ले सकती है सरकार

सर्वे में शामिल इकोनॉमिस्ट्स का मानना था कि फिस्कल डेफिसिट की भरपाई के लिए सरकार बाजार से ज्यादा पैसे उधार ले सकती है। अगले फाइनेंशियल ईयर में सरकार का ग्रॉस बॉरोइंग 17.8 लाख करोड़ रुपये रह सकता है। यह इस फाइनेंशियल ईयर के मुकाबले 11 फीसदी ज्यादा है। अगले फाइनेंशियल में विनिवेश से सरकार की इनकम कम रहने का अनुमान है। सरकार का रेवेन्यू भी अच्छा रहने की उम्मीद है।

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इनकम टैक्स में बदलाव की उम्मीद नहीं

सर्वे में शामिल इकोनॉमिस्ट्स के मुताबिक, उम्मीद है कि निर्मला सीतारमण इनकम टैक्स रेट्स में ज्यादा बदलाव नहीं करेंगी। वह लोकलुभावन वादें करने से भी बचना चाहेंगी। यह बजट ऐसे वक्त आ रहा है, जब दुनियाभर में इनफ्लेशन की वजह से हालात चिंताजनक हो गए हैं। इंटरेस्ट रेट्स बढ़ने का असर घरेलू मांग पर भी पड़ा है। सरकार के खर्च बढ़ाने से इकोनॉमिक ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा। लेकिन, इनवेस्टर्स और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की नजर इस बात पर ज्यादा रहेंगी कि निर्मला सीतारमण फिस्कल कंसॉलिडेशन के लिए किस तरह के उपायों का ऐलान करती हैं।

मिडिल क्लास को राहत दे सकती हैं वित्तमंत्री

नोमुरा होल्डिंग्स की चीफ इकोनॉमिस्ट सोनल वर्मा ने कहा, "यह बजट बहुत मुश्किल वक्त में आ रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि सरकार फिस्कल कंसॉलिडेशन के लिए क्या रोडमैप पेश करती है।" 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले निर्मला सीतारमण का यह बजट रोजगार के मौके बढ़ाने पर खास ध्यान देगा। इसमें मिडिल क्लास और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को राहत के उपाय भी होंगे।

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