Budget 2023: अगले वित्त वर्ष 2022-23 का बजट केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) एक फरवरी को पेश करेंगी। यह बजट ऐसे समय में पेश होगा जब वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंका जताई जा रही है। घरेलू स्तर पर फेस्टिव सीजन के बाद कंज्यूमर कंपनियों में सुस्ती के संकेत हैं। हालांकि सरकार के सामने कोरोना से उबर रही इकोनॉमी को सपोर्ट करने की चुनौती है। वहीं यह बजट ऐसे समय में पेश होगा जब अगले ही साल लोकसभा चुनाव होने हैं।
मोतीलाल ओसवाल एएमसी (Motilal Oswal AMC) के एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर (बिजनेस और निवेश स्ट्रैटजी) प्रतीक अग्रवाल के मुताबिक इस बार जियोपॉलिटिकल स्थिति को देखते हुए रक्षा बजट के आवंटन में बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि सरकार के लिए चालू खाते के घाटे को कम करने के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी होगी। प्रतीक ने बजट से ये उम्मीदें लगाई हैं।
घरेलू स्तर पर प्रोडक्शन को बढ़ाने और कॉम्पीटिटिव माहौल तैयार करने के लिए सरकार प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (PLI) स्कीम चला रही है। इसके तहत अभी टेक्सटाइल्स, फूड प्रोडक्ट्स, एडवांस केमिस्ट्री और स्पेशियलिटी स्टील समेत 14 सेक्टर्स को लाया गया है। अगले बजट में उम्मीद है कि इसके तहत और सेक्टर्स को शामिल किया जाता सकता है। पीएलआई स्कीम के तहत सरकार ढेर सारे इनसेंटिव मिलते हैं जिससे कंपनियों को बढ़ावा मिलता है।
मोनेटाइजेशन में आ सकती है तेजी
सरकार का फोकस एसेट मोनेटाइजेशन पर रहा है और आगे भी रेवेन्यू बढ़ाने के लिए सरकार का फोकस इस पर बना रह सकता है। सड़क जैसी लगातार रेवेन्यू देने वाली एसेट्स पर सरकार फोकस कर सकती है।
टैक्सेशन में किसी राहत की उम्मीद नहीं
प्रतीक अग्रवाल के मुताबिक चूंकि सरकार का अहम फोकस रेवेन्यू बढ़ाने पर होगा तो टैक्स को लेकर किसी कटौती की उम्मीज नहीं कर सकते हैं। पहले के बजट में सरकार ने अनलिस्टेड इक्विटी से हुए कैपिटल गेन और बॉन्ड्स पर इक्विटी के हिसाब से टैक्सेशन का प्रावधान कर चुका है। प्रतीक के मुताबिक आगे भी ऐसा ऐलान हो सकता है। एक बार अन्य मनी इंस्ट्रूमेंट पर टैक्सेशन को इक्विटी के हिसाब से कर दिया जाए तो मुनाफे और घाटे को सेट ऑफ करने में आसानी होगी।