Union Budget 2022:ITI Mutual Fund के सीईओ और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर जॉर्ज हेबर जोसेफ ने मनीकंट्रोल से हुई अपनी एक बातचीत में अगामी यूनियन बजट, बाजार की आगे की चाल और इकोनॉमी से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यूनियन बजट 2022 में सरकार का फोकस इकोनॉमी को पुश करने और राहत उपायों पर बना रहेगा जिससे आगे इंफ्रा सेक्टर से जुड़ी कंपनियों को फायदा होगा। इसको ध्यान में रखते हुए बजट के पहले ऐसी कंपनियों पर फोकस करना चाहिए जो इंफ्रास्ट्रक्चर से जुडी हुई हैं।
मनीकंट्रोल से हुई इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि आगे कंपनियों की अर्निंग में बढ़त देखने को मिलेगी। पिछले दशक में हमें सालाना आधार पर कंपनियों की अर्निंग में 6 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है जबकि पिछले कुछ तिमाहियों में सालाना आधार पर हमें 20 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है। जिससे इस बात का साफ संकेत मिलता है कि आगे आने वाले सालों में कंपनियों के अर्निग में सालाना आधार पर औसतन 15-20 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिल सकती है।
तीसरी तिमाही के नतीजों का मौसम कैसा रहेगा। इस पर उन्होंने बात करते हुए कहा कि इस अवधि में अभी भी हमें कई सेक्टरों के मार्जिन पर सालाना आधार पर बेस इफेक्ट और कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते दबाव देखने को मिल सकता है। उन्होंने इस बातचीत में आगे कहा कि हमें तीसरी तिमाही के नतीजों को सेक्टर के आधार पर ना देखकर स्टॉक के आधार पर देखना चाहिए। इस अवधि में आईटी सेक्टर का प्रदर्शन अच्छा रह सकता है लेकिन यह भी ध्यान रखना है कि इनका अब तक का वैल्यूएशन काफी मंहगा हो चुका है।
उन्होने आगे कहा कि कुछ बड़े बैंकों और आईटी कंपनियों की अपग्रेडिंग होती नजर आ सकती है। इसके अलावा इंडस्ट्रियल कैपिटल गुड्स, इंजीनियरिंग और इंफ्रा से जुड़ी कंपनियों का प्रदर्शन भी अच्छा रह सकता है। करीब 1 दशक के बाद हमें कैपेक्स साइकिल में रिकवरी देखने को मिल रही है जिसका फायदा इन सेक्टरों से जुड़ी कंपनियों को होगा।
आगामी यूनियन बजट से जुड़ी संभावनाओं पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि बजट में सरकार का फोकस इंफ्रा पर बना रहेगा। इंफ्रा सेक्टर के लिए कर छूट का प्रावधान हो सकता है। इसके अलावा सरकारी जमीन की बिक्री, पीएसयू कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी घटाने और 50 फीसदी से नीचे लाने जैसे मुद्दों पर सरकार क्या निर्णय लेती है इस पर भी सबकी नजर रहेगी।
उन्होंने कहा कि बजट में इंफ्रा पर सरकार के फोकस से कैपिटल गुड्स, इंजीनियरिंग इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स, कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट से जुड़ी कंपनियों को फायदा होगा।
बाजार पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगले 6 महीने हमें काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। तमाम केंद्रीय बैकों द्वारा मौद्रिक नीतियों में लाई जा रही कड़ाई, ब्याज दरों में बढ़ोतरी जैसे खबरें बाजार पर अपना असर दिखाएगी। इसके अलावा घरेलू बाजार में बजट और राज्यों के चुनाव कुछ ऐसे इवेंट है जो बाजार पर प्रभाव डालते दिखेंगे। ऐसे में बाजार में निवेश करने का सबसे बेहतर तरीका यह होगा कि इक्विटी फंडों में लंबी अवधि के नजरिए से एसआईपी के जरिए निवेश करें।
उन्होंने आगे कहा कि रियल एस्टेट, बैंक, कमोडिटी और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े सेक्टर ने पिछले 10 साल में बाजार में कोई बड़ी भागीदारी नहीं निभाई है लेकिन अब इनमें तेजी का दौर शुरु होता दिख रहा है। इस बात के संकेत है कि आगे हमें बाजार में सालाना आधार पर 15-20फीसदी की ग्रोथ देखने को मिल सकती है और इस तेजी में छोटे-मझोले शेयरों का भी बड़ा योगदान होगा। अगले 3 साल के नजरिए से देखें तो बाजार हमें काफी अच्छा प्रदर्शन करते नजर आएगा।